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November 9, 2022, 12:20 pm
NEWS : भारत देश 33 करोड़ देवी देवताओं का देश परंतु इन सभी देवताओं को बनाने वाला एक ही परमपिता परमात्मा है शिव- राजयोगिनी आशा दीदी, पढ़े रेखा खाबिया की खबर  

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चित्तौड़गढ़। सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग चारों युगो को मिलाकर एक शृष्टि चक्र होता है। इस चक्र में मनुष्य जीवन के उत्थान और पतन की पूरी कहानी एक रंगमंच और नाटक की तरह होता है। जिसमें सृष्टि पर आने वाली सभी मनुष्य आत्माएं शरीर लेकर अपना अभिनय करती है। इस दौरान ने सृष्टि चक्र के आदि में श्रेष्ठाचारी दुनिया होती है और जब कि सृष्टि के अंत में भ्रष्टाचारी दुनिया यानी कलयुग दुनिया का अंत होता है। आज हर चीज में प्रधानता अपनी चरम सीमा पर पहुंच गई है। गीता में बताए कलयुग अंत के लक्षण से भी निम्न स्तर पर मनुष्य पहुंच गया है।

यह विचार ब्रम्हाकुमारी सेवा केंद्र प्रताप नगर पर राजयोगिनी आशा दीदी जी ने प्रातः क्लास में सभी भाई बहनों को परमात्मा परिचय परमात्मा के आने का समय बताते हुए उन्होंने कहा कि आज मनुष्य के लाख प्रयासों के बाद भी न तो उसके जीवन में शांति है और ना ही सुख के आसार दिख रहे हैं। क्योंकि पूरी दुनिया में शांति और सुख स्थापित करना सिर्फ परमात्मा का ही दिव्य कर्तव्य है। परमात्मा के कथन है कि जब मैं सृष्टि पर आता हूं तो करोड़ों में कोई और कोई में भी कोई मुझे पहचान पाते हैं भारत देश 33 करोड़ देवी देवताओं का देश है परंतु इन सभी देवताओं को बनाने वाला एक ही परमपिता परमात्मा शिव है। जिसके अनेक धर्म अनेक रूपों में भले ही पूजा की जाती है परंतु उसका केंद्र बिंदु परमात्मा शिव के पास ही जाकर समाप्त होता है। 

परमात्मा शिव देवों के देव महादेव ब्रह्मा विष्णु शंकर के भी रचयिता त्रिमूर्ति तीनों लोकों के मालिक त्रिलोकीनाथ तीनों कालों को जाने वाले त्रिकालदर्शी है विश्व की सभी आत्माओं के परमपिता परमात्मा शिव है जो कि जन्म मरण रहित है उनका जन्म नहीं होता बल्कि वह परकाया प्रवेश करते हैं परमात्मा ज्ञान के सागर है आनंद के सागर है सुख के सागर है वर्तमान समय की हालत को देखें यीशु परमात्मा के आने का अनुकूल समय है और वह आ करके अपना कार्य कर भी रहे हैं कहीं यह शुभ अवसर हमारे हाथ से निकल ना जाए हमें इस परिवर्तन की बेला में स्वयं का परिवर्तन कर अपना भाग्य जगाना है मनुष्य की वास्तविक उन्नति उसे कल्याण की क्रियान्वित प्राप्ति और आनंद की आध्यात्मिक अनुभूति तो शिव से मन को जोड़ने से ही प्राप्त होती है अतः अभी सभी बातों को छोड़कर अपनी उन्नति अपने अध्यात्म लाभ की बात सोचते हुए परमपिता परमात्मा से अपने मन बुद्धि का योग लगाएं उन्हें पहचान कर उनसे सर्वर संबंध जोड़ करके परमात्मा को याद करें तो सहज ही हम जनम जनम के पापों से मुक्त हो सकते हैं और परमात्मा जो देवी दुनिया स्वर्णिम दुनिया बना रहे हैं हमें उसका अधिकारी बना सकते हैं।
 

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