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November 17, 2022, 8:27 pm
BIG REPORT : आफत में नीमच, पढ़िए जर्नलिस्ट मुस्तफा हुसैन की कलम से शहर की हकीकत बयान करती ये ख़ास रिपोर्ट 

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इस खबर में लगी तस्वीर यह बताने के लिए काफी है की एक बार फिर नीमच नगर पालिका भाजपा और कांग्रेस की नूरा कुश्ती का अड्डा बनने जा रही है जैसे संकेत नयी परिषद् के गठन होने के बाद से नीमच की आम जनता को मिल रहे है थे आज बँगला नंबर 60 स्थित परिषद् हाल में लग रही जालियो ने उन संकेतो पर सील मुहर लगा दी 

एक ज़माना था जब लोग कहते थे मंदसौर और चित्तौड़ नीमच शहर के बच्चे दिखते है और इन दोनों शहरो के रहवासी आमतौर पर नीमच आया करते थे क्योकि हमारे शहर की जो विरासत थी वो बेहद समृद्ध थी जब अँगरेज़ भारत में आये तो समूचे देश में जिन गिनती के ठिकानों को अपना आशियाना बनाया उसमे नीमच भी था यहाँ उस ज़माने में हवाई पट्टी बनी, रेलवे लाइन डली और अंग्रेज़ो ने इसे फौजी छावनी बनाया आज़ादी के बाद यहाँ सीआरपीएफ का देश का सबसे बड़ा सेंटर स्थापित हुआ और एशिया का सबसे बड़ा अफीम कारखाना भी इसी शहर में लगा ऐसी अनेक चीज़े है जो न तो चित्तौड़ के पास थी न मंदसौर के 

वकत के साथ यह शहर और परवान चढ़ता गया लेकिन कुछ साल पहले यह शहर विकास की पटरी से ऐसे उत्तरा की मंदसौर और चित्तौड़ आज नीमच से कोसो आगे निकल गए 

इस शहर के विकास को रिवर्स गियर कैसे लगा और कौन इसके लिए जिम्मेदार है उस पर बात होनी ही चाहिए आप भली प्रकार जानते है की किसी भी शहर की तरक्की में अहम रोल उस शहर के स्थानीय निकाय का होता है क्योकि वही निकाय शहर के विस्तार और विकास की रूप रेखा बनाता है लेकिन नीमच शहर की फिसड्डी राजनीति ने इस शहर को गर्त में डाल दिया 

नीमच के विकास के अवसान की कहानी शुरू होती है जब रघुराज सिंह चौरड़िया पहली बार नपाध्यक्ष बने उनका पहला कार्यकाल हंसी ठिठौली और द्विअर्थी संवादों की भेंट चढ़ गया उन्होंने बेहद अजीबो गरीब प्रण लिया की वे नपा दफ्तर में नहीं बैठेंगे, पूरे पांच साल उन्होंने नपा की फाइलों पर पप्पू चाय वाली की गुमटी पर खड़े होकर साईन किये, उनकी जिप्सी गाड़ी केंट पुलिस थाने के बाहर खड़ी दिखती थी और नेताजी बघाना में स्कूटर पर घूमते हुए मिलते थे कमोबेश उनका दूसरा कार्यकाल भी कुछ इसी तरह का निकला इन दस सालो में नपा का भर्ष्टाचार चरम पर पहुंचा और इसी दौरान नीमच का सबसे बड़ा जमीन घोटाला 34-36 हुआ जिसके दाग आज भी नीमच नगर पालिका के दामन पर दिखते है रघुराज सिंह चौरड़िया ने नगरपालिका को अखाड़ा बना दिया उनके दस साल के कार्यकाल में जनहित और शहर हिट का कोई बड़ा काम नहीं हुआ उलटा नीमच शहर में उनके द्वारा लगाए गए शैतानी पेड़ श्वास रोग फैला रहे है और इन पेड़ो को देखकर लोग उनको कोसते दिखाई देते है 

चौरड़िया जी के बाद नपाध्यक्ष की कुर्सी पर श्रीमती नीता दुआ बैठी चूँकि महिला थी और उनको प्रशासन चलाने का कोई अनुभव नहीं था इसलिए हमेशा मुश्किल में घिरी रही इसके अलावा उनके जाति सर्टिफिकेट का मामला भी जमकर उछला जिससे उनपर अयोग्य होने का संकट हमेशा मंडराता रहा इस दौरान सरकार भाजपा की थी इसलिए उनके कार्यकाल में सीएमओ वही करते थे जो भाजपा चाहती थी इसलिए उनके कार्यकाल में पूरी तरह अफसरशाही मजे करती रही और नपा का अमला बेलगाम हो गया करप्शन चरम पर पहुंचा क्योकि मैडम दुआ भले अध्यक्ष थी लेकिन किसी का कुछ बिगाड़ने का दम उनमे नहीं था इसलिए वे नौकरशाही को माथे बिठाकर अपना काम करवाती रही और बीजेपी नपा से बाहर थी तो उसके नेता भी अफसरों को हाथ में रखकर अपना काम निकलवाते रहे इस कार्यकाल में भी नीमच को कुछ नहीं मिला और इसी दौरान शिवराज सरकार ने बँगला बगीचा में अधिग्रहण का आदेश निकाला वैसे निर्माण और रजिस्ट्री पर रोक पहले ही लग चुकी थी 

इसके बाद आये नपाध्यक्ष बनकर राकेश पप्पू जैन उन्होंने नपा की चौखट को ठीक उसी तरह से चूमा जैसे मोदी जी ने संसद में प्रवेश करने से पहले उसकी चौखट चूमी थी उस दिन उनके इस अंदाज़ ने उनके सीनियर नेताओ को यह संकेत दे दिए की इनसे आने वाले समय में ख़तरा हो सकता है बस फिर क्या था राकेश पप्पू की ही पार्टी के नेता उनके पीछे तेल पिला लठ्ठ लेकर पड़ गए फिर भी उनके कार्यकाल में कुछ बेहतरीन सड़के बनी, बँगला बगीचा में आज़ादी के बाद पहली बार नालिया और सड़के बनी, पेयजल के लिए उन्होंने मिठाई छोड़ी लेकिन अमृत योजना का पानी वे चालू नहीं करवा सके उन्ही के कार्यकाल में बँगला बगीचे की समस्या के हल का मसौदा बना लेकिन पार्टी की गुटबाजी के कारण वो भोपाल में बदल गया और जो हल आया वो अधूरा आया यह समस्या आज भी बँगला बगीचे में रहने वाले 98 प्रतिशत लोगो को मुश्किल में डाले हुए है जिसपर आज कोई बात करने के लिए तैयार नहीं 

राकेश पप्पू के बाद दो साल नपा प्रशासक के हवाले रही जो कुछ था वो सीएमओ थे और इस दौरान करप्शन ने अपनी सारी हदे पार कर दी नौकरशाही ने खुलकर फ्रंट फुट पर बेटिंग की और जितना इस शहर को लूटा जाना था लूटा गया लेकिन इन अफसरों के कहर से बचाने के लिए कोई माई का लाल आगे नहीं आया 

दो साल के इस कार्यकाल में विकास वनवासी हो गया और फिर चुनाव हुए तो भाजपा की स्वाति चौपड़ा इस पद पर बैठी नगर पालिका का पूरा चुनाव बँगला बगीचा और करप्शन के मुद्दे पर लड़ा गया इस दौरान वॉइस ऑफ़ एमपी के न्यूज़ रूम में दिए एक इंटरव्यू में भाजपा जिला अध्यक्ष पवन पाटीदार ने मूंछो पर ताव देने के अंदाज़ में कहा था बीजेपी की परिषद् बनते ही पहला प्रस्ताव बँगला बगीचा पर आएगा और यह वादा पूर्व नपाध्यक्ष राकेश पप्पू ने भी जनता से किया था साथ ही इन दोनों नेताओ ने यह भी कहा था की करप्शन पर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करेंगे  

लेकिन नयी परिषद् के गठन के बाद ये सब दावे और वादे हवा हवाई निकले पार्षद के गठन के पहले दिन ही भाजपा में रार दिखी नपा उपाध्यक्ष ने फ्रंट खोल दिया तो भाजपा के कुछ पार्षद भी नपाध्यक्ष के खिलाफ होते दिखे इस दौरान कांग्रेस पार्षदों ने भी अपनी धाक जमाने के लिए जमकर नपाध्यक्ष पर हमले शुरू कर दिए इन शुरूआती हमलो में नपाध्यक्ष अपनी लाईन लेंथ खो बैठी की आखिर उनको करना क्या है स्वाति मैडम कुर्सी पर बैठने के बाद केवल कार्यक्रमों में मंचासीन होते या फिर यहाँ वहाँ मौका मुआयना करते दिखती है 

चूँकि उनके स्टार्ट लेते ही खेमे बंदी हो गयी और उनके कामो पर किर्या प्रतिकिर्या होने लगी उनका कीमती समय इन आलोचनाओं से निपटने में ही खर्च होने लगा आज जो तस्वीर बँगला नंबर 60 में बेरिकेटिंग की आयी तो इससे साफ़ हो गया की स्वाति मैडम के पांच साल कैसे निकलेंगे क्योकि कोई खुद की सुरक्षा के इंतज़ाम कब करेगा यह आसानी से समझा जा सकता है यदि आप जनहित में फैसले लेते हो तो किसकी मजाल के कोई आँख भी उठाकर देख सके 

नपा में जो हालात बने है एक बार फिर अफसरशाही बेलगाम होते साफ़ दिख रही है नेता जब आपस में भिड़ते है तो नौकरशाही के लिए ये सुखद समय होता है और इसमें वे जमकर आग में घी का काम करते है नयी परिषद् के गठन के पहले शहर के विकास के, बँगला बगीचा के निपटारे के, लीज नवीनीकरण और करप्शन फ्री नगर पालिका के मुद्दे साफतौर पर जमीन पर दम तोड़ते दिखाई दे रहे है, इसलिए मैने शीर्षक दिया आफत में नीमच

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