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January 11, 2023, 12:26 pm
SPECIAL REPORT : जंबूरी मैदान की दहाड़ ने की सवर्ण वोटों में सेंधमारी, आफत में बीजेपी, एमपी में विधानसभा चुनाव के पहले शेरपुर से घबराई सरकार, बता रहे हैं जर्नलिस्ट मुस्तफा हुसैन

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करणी सेना परिवार के एमपी प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर ने भोपाल के जंबूरी मैदान पर ऐसी ताल ठोकी की सरकार में बैठी शिवराज सरकार में घबराहट फैल गई। बीती 8 जनवरी को जीवन सिंह शेरपुर के आव्हान पर लाखों लोग जंबूरी मैदान पर जुटे और अपनी 21 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इन 12 सूत्रीय मांगों में सबसे प्रमुख मांग आर्थिक आधार पर आरक्षण की है। 
जैसे-जैसे मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं भाजपा की मुश्किलें साफ तौर पर बढ़ती दिखाई दे रही है। वैसे तो एमपी में तीसरे घटक का कोई वजूद नहीं है। लेकिन इस बार जय आदिवासी युवा संगठन जयस और करणी सेना परिवार जैसे सामाजिक संगठन बीजेपी की राह में बड़ा रोड़ा दिखाई दे रहे हैं। 
गौरतलब है कि जीवन सिंह शेरपुर रतलाम निवासी है और मात्र 31 साल उनकी उम्र है। 5 साल पहले वे सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय हुए और राष्ट्रीय करणी सेना के प्रदेश प्रमुख बनाए गए। उन्होंने समूचे एमपी में मजबूत संगठन खड़ा किया और फिल्म पद्मावत से लेकर कई मुद्दों पर हजारों लोगों को घरों से निकलने पर मजबूर कर दिया। उसके बाद आर्थिक आधार पर आरक्षण के साथ 20 अन्य मामलों को लेकर उन्होंने जब भोपाल के जंबूरी मैदान में बीजेपी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया तो राष्ट्रीय करणी सेना प्रमुख ने उन्हें सेना के पद से मुक्त कर दिया। 
खास बात यह है कि करणी सेना भाजपा का हिमायती सामाजिक संगठन माना जाता है और जिस तरह से शेरपुर समूचे मप्र में इस मुद्दें को लेकर सरकार को घेर रहे थे तो सरकार खुद को आफत में महसूस कर रही थी। जानकार बतातें है कि भाजपा के उसी दबाव के चलते शेरपुर को सेना के पद से हटाया गया। लेकिन युवा शेरपुर कहां थमने वाले थे। वो अपने 8 जनवरी के प्रदर्शन वाले ऐलान पर कायम रहे और करणी सेना से हटाए जाने के बाद उन्होंने करणी परिवार नाम से एक संस्था का गठन कर दिया और उसी के बैनर तले उन्होंने जंबूरी मैदान में प्रदर्शन की तैयारियों को अंजाम दिया। करणी सेना से हटाए जाने के बाद शेरपुर ने जब करणी सेना परिवार का गठन किया तो समूची करणी सेना की इकाईयां शेरपुर के साथ कदमताल करती हुई दिखाई दी। 
जीवन सिंह शेरपुर बीते 23 दिसंबर को नीमच आए थे। इस दौरान उनकी और मेरी मुलाकात हुई। बातचीत में वे पूरी तरह कांफिडेंट थे कि 8 जनवरी को जंबूरी मैदान में एक इंच जगह खाली नहीं छूटेगी और लाखों लोग जुटेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि एमपी की शिवराज सरकार दमन चक्र चलाए हुए हैं और वो आंदोलन को कुचलना चाहते हैं। लेकिन हम रूकेंगे नहीं।  
आखिरकार हुआ भी वहीं और 8 जनवरी को लाखों लोग आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग को लेकर जंबूरी मैदान में डट गए। पूरे मप्र ने देखा कि 31 साल के इस नौजवान की रणभेरी के सामने भाजपा सरकार बोनी दिखाई दी। शेरपुर के आव्हान पर एक सैलाब उमड़ पड़ा। 8 जनवरी के बाद से लगातार अपनी 21 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल में शेरपुरकर का आंदोलन जारी है और उनका साफ कहना है कि यदि सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो वे आगामी विधानसभा चुनाव में पूरी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे। 
भोपाल के जंबूरी मैदान में शेरपुरकर के आंदोलन की दो खास बातें रही। एक तो यह कि वहां जुटे लाखों लोग एक सूर में एक ही नारा लगा रहे थे मप्र का सिंह कौन जीवन सिंह-जीवन सिंह, यानी की इस जंगी प्रदर्शन का समूचा क्रेडिट जुटे लोग जीवन सिंह शेरपुर को दे रहे थे। दूसरी खास बात यह कि इस आंदोलन में जो नारा सबसे ज्यादा चला वह था देखों-देखों कौन आया..., माई के लाल-माई के लाल..., 
गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण के समय सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि कौन माई का लाल ओबीसी आरक्षण को खत्म करेगा। शिवराज सिंह के इसी बयान पर करणी सेना परिवार के लोग यह नारा लगाते भोपाल में दिखे। 
कुल मिलाकर एमपी में विधानसभा चुनाव के पहले शेरपुर एक बड़ी ताकत बनकर उभरे हैं और उन्होंने जंबूरी मैदान को भरकर यह संकेत साफ दे दिए हैं कि आने वाले चुनाव में उनकी अहम भूमिका होगी। एक तरफ जहां राज्य की भाजपा सरकार के सामने जयस ने आदिवासी वोटों को लेकर एक बड़ी चुनौती खड़ी कर रखी है वहीं दूसरी तरफ शेरपुर से सवर्ण वोटों में भारी सेंधमारी करके बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी है।

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