झालावाड़। शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान, अंगदान और देहदान जागरूकता अभियान से अब नेत्रदान के साथ-साथ देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ने लगी है।
कुछ दिनों पहले समाचार आया था कि झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में मानव देह की बेहद कमी है और ऐसे में मेडिकल अध्ययन कर रहे छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। ऐसे में संभाग में नेत्रदान का प्रमुख कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों ने निश्चय किया कि झालावाड़ जिले में देहदान के कार्य को बढ़ाने के लिये संस्था पूरी कोशिश करेगी और वैसे भी शाइन इंडिया फाउंडेशन प्रारंभ से ही नेत्रदान, अंगदान, और देहदान के परोपकारी विषय से जुड़ी हुई है, नेत्रदान के संदर्भ में शाइन इंडिया फाउंडेशन का मृतक परिवारों से सीधा संपर्क होता है ऐसे में परिवारजनों को आसानी से देहदान के लिए प्रेरित किया जा सकता है। प्रयास करने का प्रतिफल यह हुआ कि एक वर्ष में रिकॉर्ड 4 देहदान झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को प्राप्त हुए जबकि इससे पहले पिछले 10 वर्षों में मात्र दो ही देहदान झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में हुए थे।
गुरुवार रात्रि को कोटा निवासी देवेंद्र करनावट के ससुर बुधमल समदरिया का हृदयघात से आकस्मिक निधन हुआ। जिसके उपरांत उनकी पत्नी लीला देवी, बेटियाँ ममता, सपना, पूनम और बेटे महेंद्र समदरिया की सहमति से सर्वप्रथम उनका नेत्रदान का कार्य संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से संपन्न कराया गया। नैत्रदान की प्रक्रिया के दौरान ही मृतक बुधमलजी की धर्मपत्नी लीला देवीजी ने अपने पति के पार्थिव शव को मेडिकल कॉलेज के छात्रों को अध्ययन करने के लिए देहदान करने की बात रखी। डॉ कुलवंत गौड़ ने उसी समय परिवार के अन्य सदस्यों से सहमति लेकर जल्दी सुबह परिवारजनों के साथ कोटा से पार्थिव शरीर को झालावाड़ लाकर समदरियाजी का पार्थिव शरीर झालावाड मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर मनोज शर्मा को सौंपा। पार्थिव देह को सौंपते समय वहाँ बुधमलजी के सुपुत्र महेंद्र, बेटी पूनम, भाई देवेंद्र समदरिया, दामाद देवेन्द्र करनावट, के साथ शाइन इंडिया के डॉ कुलवंत गौड़ उपस्थित थे ।
डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि बुधमलजी पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे, कर्म ही पूजा है, इस सिद्धांत को मानने वाले बुधमलजी अंत समय तक भी अकाउंट संबंधित कार्य कर रहे थे, विनम्र, हंसमुख और शांत स्वभाव के बुधमल जी हमेशा सेवा कार्यों को प्राथमिकता देते थे, यही कारण था की उनकी सहमति सदा ही नेत्रदान-अंगदान और देहदान के कार्यों में रही। उनकी इसी इच्छा को पूरी करने के लिए परिवार के द्वारा उनका नेत्रदान और देहदान का परोपकार का कार्य करवाया गया।
महादानी श्री महर्षि दधीचि देहदान समिति कोटा के सचिव गोपाल शर्मा ने बेटियों द्वारा पिताजी के देहदान के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि, देहदान से मेडिकल कॉलेज के आने वाले चिकित्सक तो अध्ययन करते ही हैं साथ ही देहदान करने वाली पुण्यात्मा को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ मनोज शर्मा ने देहदानी परिवार का धन्यवाद देते हुए कहा कि शोक के समय में देहदान करने का निर्णय पूरे समाज और देश के लिए प्रेरणादायक व अनुकरणीय है। डॉ मनोज शर्मा ने झालावाड़ मेडिकल कॉलेज को लगातार देहदान उपलब्ध कराने के लिए संस्था के अथक प्रयासों की भी सराहना की।
संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से यह 1 वर्ष में रिकॉर्ड चौथा देहदान है, इससे पूर्व में कमलाबाई जैन, रघुनंदन पोखर और अशोक जैन का देहदान संपन्न हुआ है। जिसके लिए झालावाड़ जिला कलेक्टर डॉ भारती दीक्षित के द्वारा संस्था को स्वाधीनता दिवस पर जिला स्तर पर सम्मानित भी किया गया है।