कटनी। आज कल कलयुग में ऐसे श्रवण कुमार बहुत कम देखने को मिलते हैं जो अपने मां-बाप की सेवा में इतने आतुर हो कि अपनी नौकरी तक छोड़कर अपनी मां-पिता की इच्छाओं को पूरा कर सकते है। हम आपको एक ऐसे श्रवण कुमार से मिलाने जा रहे हैं। जो 21 वीं सदी मैं अपनी मां का सपना पूरा कर रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं। डॉ.दक्षिणा मूर्ति कृष्णा कुमार की जो अपने पिता की पुरानी बजाज स्कूटर पर अपनी मां को लेकर भारत दर्शन के अलावा भारत के अन्य देश की सीमाओं पर निकले हैं। जिन्होंने अभी तक छे हजार तीन सौ किलोमीटर की यात्रा तय कर चुके हैं। और गुरुवार को अपनी मां के साथ कटनी पहुंचे है। कटनी की जन धर्मशाला में रात्रि विश्राम किया। और आगे की यात्रा के लिए उत्तर प्रदेश निकल चुके है।
बता दे कर्नाटक स्थित वोगादी निवासी डॉ. दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार और उनकी 73 वर्षीय माताजी चूड़ारत्नममा की कहानी सुनकर हर कोई अचंभित हो रहा है। लगभग 5 वर्ष से इनका सफर निरंतर जारी है। मां ने कहा था कि वे घर के पास का भी कभी मंदिर तक नहीं गई। तब से डॉ कुमार ने ठाना कि वह भारत के सभी मंदिरों के दर्शन कराने अपनी मां को साथ लेकर जाएंगे। जब मां से पूछा तो मां ने इससे इंकार कर दिया और अंततः इंकार करती रही बेटे की जिद्द और प्रेम के भाव को देखकर वह स्कूटर पर बैठकर भारत दर्शन के लिए राजी हो गई। ऐसे में पिताजी की याद सजोहे अपने पास रखने के लिए पिता का पुराना बजाज स्कूटर ठीक कर अपनी मां को साथ लेकर वे 16 जनवरी 2018 को मैसूर से निकले अभी तक केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, पांडिचेरी, गोवा, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, कन्याकुमारी, मध्यप्रदेश और आगे की यात्रा उत्तर प्रदेश के लिए निकल चुके हैं।