रतलाम। इस नन्हे मासूम ने मौत को पराजित कर अपनी ज़िंदगी को कुछ इस तरह बचाया जिसे पढ़कर आपकी रूह भी कांप जाएगी। हुआ यूं कि ये बच्चा न जाने कैसे ट्रेन से गिर गया, जिसमे इसका एक हाथ और पैर कट गया। ये तो हुआ सो हुआ यह मासूम के ऊपर से बहुत सारी ट्रेने भी निकल गई। बच्चे की किस्मत यह रही कि रतलाम डीएमआर ऑफिस के सामने ही रेल ट्रैक पर था। ट्रेन के एक लोको पायलट ने जब इस बच्चे को देखा तो तुरंत रेलवे पुलिस को इसकी जानकारी दी। तब आनन फानन में जीआरपी रेलवे पुलिस ने इस ओर संज्ञान लेते हुए रेलवे हॉस्पिटल ले गए। केस की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टरों ने इसे इंदौर एमवाय हॉस्पिटल में रेफर कर दिया और आज बच्चा एक माह से अपना ईलाज करवा रहा है जो अपनी हिम्मत और हौसले के दम पर ज़िन्दगी और मौत की इस लड़ाई में बाजी मारकर धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा है।
इस सारे प्रकरण में जीआरपी थाना रतलाम के आरक्षक चेतन नरवले की भूमिका जो रही वह बहुत ही तारीफे काबिल थी। जैसे ही इनको पता चला ये उसी वक्त घटना स्थल पर पहुंचे और रतलाम से इंदौर हॉस्पिटल तक का जो सफर है। इन्होंने एक पिता के रूप में किया और अभी भी आज एक माह हो चुके हैं ये अपना फर्ज निभाते आ रहे हैं।
ये रोज़ाना रतलाम से इंदौर अप डाऊन कर बच्चे की सेवा की ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। साथ ही उनका हौंसला भी बुलंद कर उसको फिर से एक बार जीने की उमंग पैदा कर रहे हैं।
यह बात रतलाम के लियाकत अली ने बताई। उन्होंने कहा कि आज ऐसे फ़रिश्ते को मेरा ओर देश के सभी लोगांे की ओर से दिल से सलाम है। मैं मुख्यमंत्री से अपील करता हूं इनको इनकी सेवाओं के लिये प्रशस्ति पत्र देकर पदोन्नति दें सम्मानित करें, जिससे दूसरो में भी ऐसी ही मानवतावादी भक्ति का संदेश जाए।
खाने की समस्या चेतन ने अपने एक बोहरा दोस्त जो भोपाल में है उनके माध्यम से की। उन्होंने इंदौर के बोहरा समाज के समाज सेवी अब्बास भाई अमजेरा वाले, छावनी का नम्बर दिया। अब्बास भाई रोज़ाना रात को बोहरा समाज के खाने का टिफन एक माह से लेकर जा रहे हैं। इनको भी मानव सेवा के लिये तहे दिल से सलाम।