चित्तौड़गढ़। आचार्य श्री रामलाल जी म .सा. के आज्ञानुवर्ती, बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि जी ने मीरानगर स्थानक में धर्मसभा में कहा कि भौतिक सुख-सुविधाओं, यश- कीर्ति से ऊपर उठकर आत्म कल्याण के साथ ही प्राणि मात्र के कल्याण के लिए साधनारत गुरु की शक्ति विश्व की सबसे बड़ी शक्ति होती है। जिनके रोम रोम में सत्य,अहिंसा ,दया ,क्षमा करुणा और कल्याण के भाव जागृत हो जाते हैं ऐसी पुण्यात्माओं के प्रभाव से सम्पूर्ण वातावरण धर्ममय बन जाता है। बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि व संतो का सादगीपूर्ण भव्य मंगल आगमन हुआ।
उपाध्याय प्रवर ने कहा कि गुरु संतों मुनियों द्वारा उच्चारित शास्त्रोक्त वचनों में बड़ी शक्ति होती है। इसलिए इनके सानिध्य में धर्म आराधना और सदमार्ग की राह अपनाते हुए हमें अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए।
मुनि श्री ने कहा कि आत्मा अनादि अनंत है। सब की आत्मा समान हैं, लेकिन तीर्थंकरों, महापुरुषों की अहिंसा साधना उत्कृष्ट होती है उनमें सभी जीवो के प्रति वात्सल्य, दया करुणा और क्षमा का भाव रहता है इसलिए वे परमात्मा कहलाते हैं। धर्मगुरु और संत भी हमें आत्मा को परमात्मा बनाने के मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन करते हैं।
धर्म श्रद्धा को परिभाषित करते हुए उपाध्याय प्रवर ने कहा कि सांसारिक सुख- दुख, मान -अपमान, यश -अपयश और भौतिक सुख-सुविधाओं से विरक्त होकर आत्मा में स्थित होकर कर्तव्य पथ पर चलता है, वह धर्म की दिशा उन्मुख होता है।
उन्होंने कहा कि गुरु वचनों से जीवन में धर्म आसानी से प्रवेश हो जाता है। उन्होंने महापुरुषों के सानिध्य में सदमार्ग पर चलकर आत्म कल्याण का संदेश दिया। धर्म सभा का संचालन आदित्येन्द्र सेठिया ने किया । जबकि प्रारंभ में समता महिला मंडल व समता बहू मंडल द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। इससे पूर्व धीरज मुनि जी व राजन मुनि जी ने भी धर्म सभा को संबोधित किया। उल्लेखनीय है कि आगामी अक्षय तृतीया पर्व पर आचार्य श्री रामलाल जी महाराज सा के सानिध्य में वर्षीतप पारणा महोत्सव के सिलसिले में बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय प्रवर श्री राजेश मुनि जी आदि ठाणा चार का आगमन हुआ।