कर्नाटक चुनाव नतीजे भले कांग्रेस के पक्ष में आये, लेकिन उससे पहले से एमपी की बीजेपी सरकार को लेकर बीजेपी आलाकमान के पास खबरें कुछ ठीक नहीं थी। इसीलिए भोपाल आये राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था एमपी के बीजेपी कार्यकर्ताओ में अपनी सरकार है वाला फील गुड नहीं है।
एमपी की शिवराज सरकार को लेकर दिल्ली के पास जो फीडबैक है वो कमोबेश कर्नाटक वाला ही है, क्योकि कर्नाटक में बीजेपी सरकार पर जमकर करप्शन के चार्ज लगे और एमपी में चूँकि सरकार पिछले 16 साल से है इसलिए नेताओं और नौकरशाही का जबरदस्त गठजोड़ हो गया है। आज हर अफसर के सर पर किसी बड़े नेता का हाथ है। उसी का परिणाम है कि बीजेपी कार्यकर्ता यह कहते सूना जाता है कि हमारी सुनवाई नहीं हो रही। सीधी सी बात है जब किसी भी अफसर के ऊपर नेता का अमरेला होगा तो फिर वो छोटे कार्यकर्ता को क्यों गाँठेगा।
नेताओं और नौकरशाही के इसी गठजोड़ का परिणाम है कि आम लोगांे का हाल बेहाल है। विभागों में छोटे-छोटे कामों की पेंडेंसी इतनी है कि जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। आम आदमी के जायज काम सालो से रुके पड़े है, सबसे ख़ास बात तो यह है कि विभागों के अफसर जिला मुख्यालयों पर रुकते ही नहीं है। वे सप्ताह में एक या दो दिन आते है वो भी टीएल जैसी बैठकों में कलेक्टर्स को अपना मुंह दिखाने और उसके बाद मीटिंगों और दौरों के नाम पर लापता रहते हैं।
मालवा की बात की जाए तो कई ऐसे चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं, जिसमें संगठन से जुड़े कामों तक को अफसरों ने बिना लेन देन के करने से इंकार कर दिया और जब ऊपर तक बात पहुंची तो कुछ बात बनी तो ज़ाहिर है फिर नीचे वाले छोटे कार्यकर्ताओं को फील गुड कैसे आएगा, जिसकी बात स्वयं जेपी नड्डा बोल रहे हैं।
वहीं कर्नाटक इलेक्शन में आये नतीजों से यह भी साफ़ हो गया की जिन लोगांे ने दल बदल कर ऑपरेशन लोटस में भागीदारी की थी वे तमाम विधायक और मंत्री बुरी तरह हारे। इस बात की चिंता भी बीजेपी आलाकमान को सत्ता रही है। आलाकमान के सामने एक दुविधा यह भी है की कर्नाटक में एन चुनाव से पहले सरकार में बड़ा बदलाव कर के चुनाव लड़ा गया था, जिसके परिणाम सुखद नहीं रहे। ऐसे में एमपी में वो बदलाव करें या फिर शिवराज सिंह चौहान के आसरे ही चुनाव मैदान में जाए।
वैसे कर्नाटक चुनाव के परिणामो के बाद एमपी में कांग्रेस शिवराज सरकार के खिलाफ करप्शन को एक बड़ा हथियार बनाने की तैयारी में जुटा है। वैसे उसके नेता दिग्विजय सिंह पहले से ही बीजेपी सरकार पर करप्शन के चार्जेस लगाते रहे हैं। इससे भी साफ़ है कि आने वाला विधानसभा चुनाव एमपी में कांग्रेस करप्शन और अफसरशाही से आम लोगों की नाराज़गी पर लड़ने का खाका बना रही है और यदि कांग्रेस इन दोनों ही मुद्दों को जनता में सही तरीके से ले जाने में कामयाब हुयी तो बीजेपी के लिए 2023 की राह आसान नहीं होगी, क्योकि पहले ही उसको सिंधिया का फेक्टर परेशान किये हुए हैं। यदि वह सिंधिया से जुड़े नेताओं पर दांव लगाती है तो पार्टी के पुराने नेता नाराज़ होंगे और सिंधिया के लोगों को टिकिट नहीं दिया तो फिर उस वादे का क्या होगा जो सिंधिया के साथ निभाना है। इन सब मुश्किलों के बीच बीजेपी आगे क्या करेगी ये तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है राह आसान नहीं।