भोपाल | मास्टर प्लान-2031 में दावे-आपत्ति की शुक्रवार को डेटलाइन खत्म हो गई है। आखिरी दिन तक डेढ़ हजार से ज्यादा आपत्तियां मिलीं। इनमें बाघ क्षेत्र समेत बड़ा तालाब किनारे के गांवों को कैचमेंट करने मुक्त की मांग भी की गई। शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग कलेक्टोरेट पहुंचे और आपत्ति दर्ज कराई। वहीं, नगर निगम नेता प्रतिपक्ष शबिस्ता जकी ने भी दावे-आपत्तियां लगाई हैं।
एक महीने पहले भोपाल के मास्टर प्लान का ड्राफ्ट प्रदेश सरकार ने जारी कर दिया था। इसमें वर्ष 2021 में आई आपत्तियों और सुझावों को भी शामिल किया गया। वहीं, दावे-आपत्तियों के लिए 30 दिन का समय दिया गया था। इसकी 30 जून आखिरी तारीख थी, जोशुक्रवार को खत्म हो गई। इस दिन बड़ी संख्या में लोगों ने दावे-आपत्तियां लगाईं।
ग्रामीण पहुंचे कलेक्टोरेट, लगाई आपत्तियां
फंदा जनपद अध्यक्ष प्रमोद राजपूत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीण शुक्रवार को कलेक्टोरेट पहुंचे और अधिकारी को आपत्तियां सौंपी। सात बिंदुओं पर लगाई गई आपत्तियों का जल्द निराकरण करने की मांग की गई।
ये आपत्तियां लगाईं
भोपाल के बड़ा तालाब के कैचमेंट प्रभावित गांवों को कैचमेंट के नाम से मुक्त किया जाए।
कैचमेंट के नाम पर जो भी प्रावधान नकारात्मक किए गए हैं, उन्हें हटाया जाए।
फंदा, भदभदा, रातीबड़, नीलबड़ मार्ग पर बसे गांवों में पर्याप्त आवासीय सुविधाएं हैं। इन गांवों को आवासीय योजना में शामिल किया जाए।
भोपाल-सीहोर रोड पर पूरी भूमि ग्रीन बेल्ट में दर्शाई गई हैं, यह उचित नहीं है। कोलास नदी के आसपास के कैचमेंट एरिये की दूरी तय की जाए। कुछ जमीनों को डूब में दर्शाया जा रहा है, जो कभी डूब में थी ही नहीं। इसे आवासीय किए जाने की अनुमति दी जाए।
भोपाल विकास योजना प्रारूप 2031 में 30 किलोमीटर दूर के क्षेत्र के आवासीय उपयोग के लिए उचित माना है, जबकि भोपाल से फंदा-सीहोर और भदभदा से रातीबड़-नीलबड़ रोड के बीच के गांवों को आवासीय नहीं किया गया है।
संत हिरदाराम नगर पूरी तरह से कमर्शियल हो चुका है। यहां की आबादी भी काफी हो चुकी है। आसपास के इलाकों में भी बसाहट हो रही है। इसलिए आसपास की जमीनों को भी आवासीय किया जाए।
कोलांस नदी के आसपास विकसित की गई अवैध कॉलोनियों को लेकर कार्रवाई हो। कॉलोनाइजरों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।