मुंबई। भारत में प्रकाशकों की अविश्वसनीयता के शिकार देश के लेखक हो रहें हैं। लेखकों को मिलने वाली रायल्टी के प्रदान में कोई पारदर्शी नीति नहीं हैं। यहीं वजह हैं कि मुझे अपने स्वयं का प्रकाशन प्रारंभ करना पड़ा। ये विचार देश के अपराध जगत को उजागर करने के लिए अनेक पुस्तकों के प्रख्यात लेखक विवेक अग्रवाल ने पुस्तकों के प्रकाशन संबंधी जटिलता पर आयोजित एक संगोष्ठी में अपने अनुभव साझा करते हुए व्यक्त किए।
विश्व हिंदी अकादमी मुंबई और मालवा रंगमंच समिति के संयुक्त तत्वावधान में मुंबई बॉलीवुड और मनोरंजन जगत के प्रख्यात समन्वयक केशव राय के संचालन में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी मुंबई के फनकार स्टूडियो में आयोजित हुई। इसमें सम्मिलित प्रख्यात लेखकों ने इस विषय पर अपने अनुभव साझा कर मार्गदर्शन दिया और बदलती हुई परिस्थतियों में लेखको को किस प्रकार प्रकाशको के शोषण से बचकर अपनी पुस्तकों के प्रकाशन की प्रक्रिया अपनाना चाहिए विषय पर उद्बोधन दिया, जिससे धनोपार्जन के साथ उनकी ब्रांडिंग हो और प्रतिष्ठा व स्वाभिमान में वृद्धि हो।
वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि किस प्रकार अमेजन और किंडल जैसे साधनांे के आ जाने से पुस्तकों के स्व प्रकाशन का मार्ग सुलभ हो गया हैं। ये ज़रूरी हो गया है कि किस प्रकार इन माध्यमों के सक्षम उपयोग से लेखक बेस्ट सेलर तक अपनी पुस्तक को पहुंचाए और अपनी राष्ट्रीय और वैश्विक प्रतिष्ठा बनाए। इसके लिए तकनीकि ज्ञान से अवगत होना आवश्यक है।
रायल्टी के नाम पर शोषण का चलन आज भी भारतीय प्रकाशकांे का तरीका जारी है और वैधानिक प्रावधानों के उपरांत अज्ञानता और उससे भी अधिक चुप रहने की प्रवृत्ति दक्ष और अनुभवी लेखकों के लिए आत्मघाती है। भारत में विगत वर्षाे में विदेशी प्रकाशकों का आगमन आधुनिक विपणन तकनीक, लेखकों के प्रति इमानदार रायल्टी वितरण की भावना के कारण फलित प्रफुल्लित हो रहा हैं। लेखकों को अपनी पुस्तक के विपणन और ब्रांडिंग के आधुनिक तरीकों के अपनाने से ही शोषण से मुक्ति संभव है।
संगोष्ठी को प्रख्यात लेखक अमित खान, विवेक अग्रवाल, सतीश पुरोहित, ब्रांडिंग विशेषज्ञ सतीश खुबचंदानी, सुरेश शर्मा, सुभाषचंद्र त्रिपाठी आदि ने संबोधित किया। पत्रकार एवं लेखक पंडित मुस्तफा आरिफ ने अपने महागीत ईश्वर प्रेरणा के कुछ पद सुनाएं और अपनी प्रकाशित पुस्तकों के प्रकाशन के अनुभव साझा किये।