उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में 25 मार्च को होली के दिन सुबह भस्म आरती के दौरान केमिकल वाले गुलाल के कारण लगी आग के बाद मंदिर की संपूर्ण दर्शन व्यवस्था के साथ ही नियमों का पालन करने के लिए नए निर्देश तैयार हुए। मंदिर में प्रवेश, दर्शन के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था और नियमों पर शनिवार को होने वाली मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में मोहर लगेगी। समझा जा रहा है कि मंदिर की व्यवस्थाओं में कई बदलाव नजर आएंगे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में मंदिर प्रशासन सभी तरह की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर की कई व्यवस्थाओं में बदलाव करने जा रहे है। कारण है कि 25 मार्च को होली की सुबह गर्भगृह में लगी आग ने मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए। आगजनी की घटना में गर्भगृह में मौजूद 14 लोग झुलस गए थे। घायलों में से एक सेवक की पिछले दिनों ईलाज के दौरान मौत भी हो गई है।
घ्रटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने मंदिर में फायर सेफ्टी के लिए मुंबई के दल से निरीक्षण कराने के बाद सुरक्षा उपायों की जानकारी मांगी है। यह रिपोर्ट मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर नीरज कुमार सिंह के पास पहुंची हैं। वही आग लगने की घटना बे बाद गठित जांच समिति की रिपोर्ट भी शुक्रवार रात तक कलेक्टर के पास पहुंच जाएगी। इसके बाद मंदिर प्रशासन ने शनिवार शाम 4 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक आयोजित की है। बैठक में मंदिर की दर्शन व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्थाओं के साथ ही नए सुरक्षा नियमों के तहत आरती के दौरान पंडे-पुजारी, श्रद्धालुओं की उपस्थिति के लिए बनाए गए नियमों को लेकर चर्चा होगी।
श्रद्धालुओं व विशिष्ठ जनों के लिए प्रवेश गेट तय होगें
श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश गेट से सामान्य श्रद्धालुओं, 250 रूपए टिकट वाले श्रद्धालु और प्रोटोकाल से आने वाले विशिष्ट जनों को दर्शन के लिए प्रवेश देने के लिए गेट तय होंगे। इसके अलावा मंदिर में आरती के दौरान गर्भगृह व नंदीहाल में कितने श्रद्धालुओं, कर्मचारी, पंडे, पुजारी की उपस्थिति रहेगी इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी। इसी तरह भस्म आरती में बैठक क्षमता के अतिरिक्त सुरक्षा के लिए दिए गए मापदंड के तहत संख्या निर्धारण करने पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए सुझावों पर अमल करने के लिए नियम लागू किए जाएंगे। समझा जा रहा है कि मंदिर प्रबंध समिति में मोहर लगने के बाद मंदिर की कई स्तर की व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।