नीमच। महावीर विधान करते समय मन में भाव पवित्र हो तो ही मोक्ष मार्ग मिल जाता है। श्री महावीर विधान करने से आत्मा पवित्र होती है। पवित्र आत्मा के दर्शन से ही आत्मा प्रसन्न हो जाती है। श्री महावीर विधान सदैव पुण्य फलदाई होता है।
यह बात प्रशम सागर जी महाराज ने कही।वे फोर जीरो विद्युत केंद्र के पीछे स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में महावीर जयंती के पावन उपलक्ष्य में सुबह आयोजित श्री महावीर जैन विधान के मध्य उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संसार के समस्त प्राणियों की रक्षा और जीव दया की भावना से किया गया पुण्य परमार्थ की पूजा का विधान सदैव पुण्य फलदाई होता है। मन में आनंद पुवर्क विधान करना चाहिए तभी वह फलदाई होता है मन को इतना भक्ति में लगाए कि मन भक्ति में चलने लगे। एक-एक शब्द पर अपनी अच्छी भावना रखना चाहिए ।विधान जबरदस्ती नहीं जबरदस्त भक्ति वाला होना चाहिए तभी वह फलदाई होता है।
महावीर जयंती के पावन उपलक्ष्य में आदिनाथ मोक्ष कल्याणक से लेकर महावीर जन्म तक प्रतिदिन दिगंबर जैन समाज मंदिर में रात्रि 8बजे भक्तामर पाठ का आयोजन किया गया जिसमें सभी समाज जनों ने सहभागिता निभाई।
महावीर विधान के मध्य मीठे रस से भरियोडि मन जिनवाणी लगे, मेरे सर पर रख दो गुरुवर अपने यह दोनों हाथ.., मेरा रास्ता रोशन कर दो सारी अंधेरी रात..., पीछी वाले गुरुवर तेरा सबसे बड़ा नाम रे.., सहित विभिन्न धार्मिक भजन प्रस्तुत किए गए। पूजा के पाठ पर श्रीफल, अक्षत ,अमृत कलश, दीपक प्रज्वलित कर तीर्थ महावीर विधान मंडल को श्रृंगार कर अभिषेक विधान किया गया।
धर्म सभा में इससे पूर्व शील सागर जी महाराज ने जिन कुल मिला है इसे व्यर्थ नहीं गंवाना है.. काव्य रचना प्रस्तुत करते हुए मंगलाचरण भी किया। धर्मसभा में यतींद्र सागर जी महाराज ने विधान के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।