बैतूल। खंजनपुर क्षेत्र स्थित खुशी विला में बुधवार को किन्नरों ने दो घंटे में तिरंगा राखियां तैयार कीं। इन्हें बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति के राष्ट्र रक्षा मिशन को सौंपा गया।
किन्नर प्रमुख शोभा की अगुवाई में लक्ष्मी, कविता, सुमन, रूपा, पूनम, दीपा, पायल और अन्य ने ये राखियां बनाई हैं। किन्नर कविता और लक्ष्मी ने कहा, ष्यह हमारे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है, हम बॉर्डर तक नहीं पहुंच सकते, लेकिन हमारी राखी और दुआएं पहुंचेंगी।
कारगिल विजय के बाद से सरहद पर राखी बांधने की परंपरा
राष्ट्र रक्षा मिशन की संस्थापक गौरी बालापुरे पदम ने बताया कि पिछले 26 सालों से हर रक्षाबंधन पर देश की सीमाओं पर सैनिकों को राखी बांधी जा रही है। कारगिल विजय के बाद शुरू हुई यह परंपरा भूकंप, भूस्खलन, कर्फ्यू या ट्रेन रद्द होने जैसी बाधाओं के बावजूद नहीं रुकी। रजत जयंती वर्ष में समिति ने बस से बाड़मेर तक का सफर कर इतिहास रचा था। दो महीने पहले ऑपरेशन सिंदूर में देश की तीनों सेनाओं के शौर्य से उत्साहित बैतूल की बेटियां इस बार भी सीमा पर जवानों के साथ रक्षाबंधन मनाएंगी।
बैतूल की बेटियां जाएंगी भारत-पाक सीमा
इस साल 9-10 अगस्त को 30 सदस्यीय दल भारत-पाक सीमा पर जाकर सीमा सुरक्षा बल के सैकड़ों जवानों की कलाई पर राखी बांधेगा। पिछले ढाई दशक में बैतूल की बेटियां देश की चतुर्दिक सीमाओं पर पहुंची हैं। जिन सरहदों पर दल पहले जा चुका है, वहां राखियां पोस्ट से भेजी जाएंगी। कारगिल के शहीद स्मारकों के लिए भी प्रतिवर्ष राखियां भेजी जाती हैं।
10-35 साल की युवतियों/महिलाओं को दिया जाएगा मौका
राष्ट्र रक्षा मिशन 2025 के लिए 5 नए सदस्यों (10-35 वर्ष की बैतूल की युवतियों/महिलाओं) को मौका दिया जाएगा। इच्छुक सदस्य समिति संस्थापक गौरी पदम से संपर्क कर सकते हैं। कार्यक्रम में समिति की कोषाध्यक्ष जमुना पंडाग्रे, सहसचिव ईश्वर सोनी, सदस्य लता नागले, हर्षित पंडाग्रे, छाया प्रजापति, सोनल खोब्रागड़े और अन्य सदस्य उपस्थित रहे।