चीताखेड़ा। तीन साल बेमिसाल, जनता के हाल बेहाल,मूलभूत जनसमस्याएं हुई विकराल। भरी बारिश में भी प्यासी है जनता, पानी खरीदकर प्यास मिटाने को मजबूर हैं जनता,500 रुपए प्रति टेंकर देना पड़ रहा है। पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधियों को तनिक भी नहीं परवाह। चीताखेड़ा पंचायत का मजरा गांव तिखीरुण्डी और रामनगर गांव में तीन साल के कार्यकाल में नहीं लगाएं तीन रुपए। सरपंच प्रतिनिधि ही बन रहा विकास कार्य में रोडा। पंचायत चुनाव की जनता से सरपंच प्रतिनिधि अभी भी नफरत भरी खुन्नस एवं ठसक को हथियार बना लिया है। तिखीरुण्डी और रामनगर में न तो स्टेट लाइट खंबों पर बल्ब ना ही रास्ते में सीमेंट कांक्रीट ना ही फर्सी गांव के मार्ग में घरों से बहने वाला पानी आम रास्ते में बहने से किचड़ भरा हुआ रहने से भयंकर मच्छर की भरमार हो गई है। पंचायत में विकास कार्य हेतु लिए गए प्रस्तावों के बावजूद भी कार्य शुरू नहीं किया जा रहा है।
तिखीरुण्डी निवासी अमरनाथ का कहना है कि रामनगर से तिखीरुण्डी तक पहुंच मार्ग में 10 साल पूर्व मोरमीकरण किया गया था वह भी बारिश के मौसम में फिसलन भरी हो जाती है जिससे राहगीरों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लालू नाथ का कहना है कि देश की आजादी के 79 साल बाद भी हमें पंचायत स्तर की मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। हमें पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। हमें कराड़िया महाराज से 500 रुपए में प्रति टेंकर खरीदना पड़ रहा है। कई लोग तो किसानों के खेत कुओं पर लगी ट्यूबवेल से पानी लाना पड़ता है।
सरपंच प्रतिनिधि मनसुख जैन और सचिव के बीच नहीं बैठ रहा है तालमेल। यहां पंचायत में सरपंच प्रतिनिधि सिर्फ सचिव बदलने में माहिर हैं ये भी सचिव ठीक नहीं वो भी ठीक है,इन महाशय की हिटलर शाही के चलते गांव की समस्याएं पैदा होती जा रही है। सभी सचिव खराब है सिर्फ यही ठीक है। झूठी तारीफों की आदि बन चुकी चीताखेड़ा पंचायत। वास्तविक रूप से जमीनी हकीकत जनसमस्याएं दिखाने एवं सुनाने पर तिलमिला उठते हैं पंचायत में बैठे जनप्रतिनिधि। इन्हें समस्या मत बताओ इनकी तारीफ करो बड़े खुश रहते हैं। समस्या बताते ही ये अपना आपा खो बैठते हैं और इनकी भोंहें तन जाती हैं।
पंचायत ने कुछ गली मौहल्लों में सीमेंट कांक्रीट मार्ग क्या बनाएं मानों इन्हें गांव में हीरे-जवाहरात जड़ दिए हों। तीन साल के कार्यकाल में 20-25 लाख से सीमेंट कांक्रीट मार्ग तो बनाएं पर इसमें कमाई कितनी की यह नहीं बताएंगे। चार इंच सीमेंट कांक्रीट माल डालना चाहिए वहां इन्होंने मात्र दो से ढाई इंच ही माल डालकर अच्छी खासी कमाई कर ली है। जिस कार्य में कमाई थी वही कार्य किया है। गांव में सफाई व्यवस्था चौपट, गली मौहल्लों में स्टेट लाइट के खंबों पर बल्ब नहीं है, गांव में कई गली मौहल्लों एवं कालोनियों में बने कच्चे रास्तों में किचड़ भरा पड़ा है राहगीरों को आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत में बैठे सभी जनप्रतिनिधि धृतराष्ट्र बने बैठे हैं। इनके कार्यकाल को तीन साल हो गए हैं लेकिन पंचायत में अपने-अपने वार्डों में चुनाव प्रचार के समय मतदाताओं से किए गए वादों को भी भूल गए हैं। बैठक में चर्चा करने हेतु बोलने की भी हिमाकत नहीं कर पा रहे हैं। लेट्रिंग से एवं गंदगी नाली गटरों में बहने वाली गंदगी नलों से आ रही है इसी बदबूदार पानी कैसे पीएं। पंचायत में बैठे इन महापुरुषों को जनसमस्याओं से कोई सरोकार नहीं है। इनको तो इनकी झूठी तारीफ करो बड़े खुश रहते हैं।
चीताखेड़ा पुराना हायर सेकंडरी स्कूल के पास स्थित शासकिय उचित मूल्य की दुकान पर राशन कार्ड के आधार पर गेहूं लेने हेतु हितग्राहियों की भीड़ आती हैं इसी दुकान के सामने मार्ग किचड़ और पानी से भरा हुआ है। कई बार तो राशन की सामग्री थेला फटा पड़ा होने से किचड़ में ही ढूल गया। कई बार वार्डवासियों ने एवं वार्ड पंच ने भी पंचायत में समस्या के समाधान की फरियाद सुनाई पर इन पर कोई असर नहीं हुआ।
इनका कहना -
मैं तो पंचायत के प्रस्तावों और पंचों के अनुसार गांव की आमजनता के हित में विकास कार्य करने को तैयार हुं। लेकिन सरपंच प्रतिनिधि सहयोग नहीं कर रहे हैं। झूठी शिकायतें कर विकास कार्य करना नहीं चाहते हैं।