मनासा। गांवों में रामलीला मंचन की परंपरा सदियों पुरानी है। सोशल मीडिया व छोटे पर्दे के आने के बाद भी गांवों में इसका अलग ही महत्व है। लोग चौराहों पर लोक नाट्य कला देखने के लिए आधी रात तक मौजूद रहते हैं। इसी कडी में गांव नलखेड़ा में 21 साल बाद फिर से गांव के युवाओं द्वारा लोक नाट्य रामलीला का मंचन किया जा रहा है। इसमे गांव के युवाओं द्वारा लगातार तीसरे वर्ष भी हाथरस पर आधारित रामलीला का आयोजन किया जा रहा हैं।
रामलीला के तीसरे दिन मंच से कलाकारों ने रावण बाणासुर, भगवान राम द्वारा ताडका का वध कर उसका उध्दार करना, पत्थर की नारी अहिल्या का उध्दार करना, भगवान राम एवं लक्ष्मण का गुरू विश्वामित्र के साथ जनकपुरी में पहुचकर धनुष बाण भंग करना एवं माता सीता द्वारा भगवान राम को वरमाला पहनाना, राजा जनक द्वारा अपनी प्रतीज्ञानुसार धनुष बाण भंग नहीं होने पर अनुचित बात करने पर लक्ष्मण द्वारा भरी सभा में क्रोधित होकर धनुष बाण भंग करने की बात कहने पर गुरू विश्वामित्र ने लक्ष्मण का क्रोध शांत कर राम को धनुषबाण भंग करने का आदेश दिया। रावण ओम कनेरिया एवं बाणासुर सुभाषचन्द्र शर्मा ने अपने संवादों से उपस्थित जनता को खुब आनन्दित किया।
इस दोरान भगवान राम राहुल पाटीदार, माता सीता भरत कनेरिया, दशरथ कैलाश राठोर, जनक पंकज मोड, विश्वामित्र रामप्रसाद सेन, ताडका बंटी शर्मा ने रामलीला के मंच से सभी प्रसंग का सजीव चरित्र चित्रण किया।