नीमच। अहंकार के त्याग बिना मनुष्य का जीवन सफल नहीं हो सकता है। अहंकार के कारण रावण सब कुछ होने के बाद भी युद्ध में हार गया और मृत्यु मिली थी। अहंकार में जीता हुआ व्यक्ति हारे हुए के समान होता है। यह बात साध्वी मुक्ति प्रिया श्री जी की उपस्थिति में साध्वी शिवम प्रिय श्री जी महाराज साहब ने कही। वे पुस्तक बाजार स्थित आराधना भवन में श्री भीड़ भजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ के तत्वावधान में आयोजित विशेष धार्मिक प्रवचन श्रृंखला में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि अहम मिटेगा तभी अर्हम मिलेगा। ईनो पाउडर 6 सेकंड में पेट की गैस को मिटा देता है ।मनुष्य का इगो 6 सेकंड में क्रोध बढ़ाकर लड़ाई झगड़ा करा देता है और काम बिगाड़ देता है। क्रोध के त्याग बिना जीवन में सफलता नहीं मिलती है। प्रतिक्रमण तपस्या उपवास सभी विधि पूर्वक करना चाहिए तभी उसका सही फल मिलता है। जिस प्रकार एक माता अपनी बेटी के विवाह के लिए 1 महीने तक निरंतर भूख प्यास सहन कर तैयारी कर रात दिन एक कर समर्पित भाव से रूचि लेकर कार्य को सफलतापूर्वक करती है।वह कार्य इसलिए अच्छा होता है क्योंकि मां का बेटी के प्रति समर्पित प्रेम भाव होता है इसी प्रकार हमारा परमात्मा के प्रति समर्पित प्रेम भाव होना चाहिए और उनके लिए किए गए तपस्या साधना सभी फलदाई होती है।जिस प्रकार आज्ञाकारी पुत्र पिता को सदैव प्यारा होता है ठीक उसी प्रकार आज्ञाकारी भक्त प्रभु को सदैव प्यारा होता है आज्ञाकारी भक्तों की संकट में प्रभु सदैव सहायता करते हैं।विनय संस्कार गुणों का राजा होता है विनय बिना व्यक्ति का जीवन बेकार होता है। जहां विनय होता है वहां ज्ञान होता है। मूर्ति बिना मंदिर बेकार नमक बिना भोजन बेकार ब्रेक बिना गाड़ी बेकार विनय बिना व्यक्ति का जीवन बेकार होता है। गम खाने ,ज्ञान लेने, दान देने, इज्जत रखने ,सत्य बोलने, मोह छोड़ने ,अभिमान त्याग करने के लिए होता है ।भाव पवित्र हो तो विचार उत्कृष्ट होते हैं। ।मान खतरनाक होता है। फुटबॉल में हवा भरने के बाद व पैरों की ठोकर में उछलता है इसी प्रकार अभिमान की हवा कर्म सत्ता की लातों से उछलती है। इंसान की गलत धारणा व्यक्ति को गधा बना देती है ।अभिमान व्यक्ति को अपमान की गाली सुनाता है ।इसलिए किसी का भी अपमान नहीं करना चाहिए सदैव सभी का सम्मान करना चाहिए रावण का अंत अभिमान के कारण ही हुआ था। प्रभु से बढ़कर प्रभु की आज्ञा होती है। प्रभु आज्ञा ही धर्म समान होती है। धन व्यक्ति का अभिमान बढ़ाता है धर्म व्यक्ति को सम्मान दिलाता है। धन मिलता है तो अहंकार बढ़ाता है रूप मिलता है तो दर्पण तोड़ता है ज्ञान बढ़ता है तो देश बढ़ते हैं यश बढ़ता है तो हंसी बढ़ती है अधिकार बढ़ता है तो अहंकार बढ़ता है मैं हूं तो सब कुछ है यह हमें अहंकार बढ़ाने की और बढ़ाता है। स्वयं को केंद्र में रखकर घर समाज बाजार संसार सबको अपनी ताकत से चलाना चाहता है तो नहीं चलता। संसार में गुरु जी गोविंद से मिलाने वाला महान व्यक्ति होता है। त्रिवेणी नवनिर्मित दीक्षा नवनिर्मित आराधना भवन का उद्घाटन अद्भुत त्रिवेणी संगम है।विनय वान व्यक्ति प्रभु आज्ञा मानता है शास्त्र के ज्ञान को मानता है गुरु आज्ञा को मानता है और सम्मान प्राप्त करता है अभिमानी व्यक्ति के पास कोई नहीं आता है प्रभु कृपा भी नहीं मिलती है। गुरु कृपा भी नहीं मिलती है । अभिमानी व्यक्ति सड़े हुए जख्म वाली कुत्तिया के समान और गंदे सूअर के समान होता है जिसका कोई शिकार नहीं करता और दिन भर मालिक का चाबुक खाने वाले घोड़े समान होता है। श्री जैन श्वेतांबर भीड़ भंजन पाश्र्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के सचिव मनीष कोठारी ने बताया किआराधना भवन में प्रतिदिन 9ः15 बजे साध्वी मुक्ति प्रिया श्री जी महाराज साहब के सानिध्य में धार्मिक प्रवचन आयोजित किए जाएंगे।