नीमच की एचडीएफसी बैंक में साढ़े छः करोड़ के घोटाले की वॉइस ऑफ़ एमपी की खबर पर आज उस समय मोहर लग गयी जब बैंक एडमिनिस्ट्रेशन इसकी एफआईआर कोतवाली थाने में की और कहा की उसका टेलर ऑथराइजर रितेश ठाकुर केश डिपॉज़िट मशीन में जमा होने वाले रूपए निकालता रहा लेकिन उसे बैंक की चेस्ट में जमा नहीं करवाए इस मामले का खुलासा तब हुआ जब बैंक में इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट आयी और उसने पाया की केश डिपोसिट मशीन में जितना केश जमा हुआ है उतना केश बैंक के पास नहीं आया तब जाकर यह मामला उजागर हुआ
इस मामले के उजागर होने के बाद बैंक के स्थानीय अधिकारी इस बात की कोशिश करते रहे की रितेश ठाकुर रूपए लाकर बैंक में जमा करा दे और किसी को कुछ पता न चले लेकिन रितेश ठाकुर सामने नहीं आया और उसने डेड करोड़ रूपए बैंक भिजवा दिए इसकी खबर जब वॉइस ऑफ़ एमपी को लगी तो वॉइस ऑफ़ एमपी की टीम ने पूरे मामले से पर्दा उठा दिया जिस पर मजबूरन बैंक को एफआईआर करना पड़ी
बैंक की इस एफआईआर से बैंक एडमिनिस्ट्रेशन का दामन साफ़ नहीं हो जाता क्योकि केश डिपॉज़िट मशीन से रूपए निकालने के लिए दो लोग अधिकृत होते है और जब तक वे संयुक्त प्रयास नहीं करे तब तक रूपए नहीं निकल सकते वही जब इतनी बड़ी राशि बैंक के पास नहीं आयी तो बैंक मैनेजर कपिल चौबे को इसका पता क्यों नहीं चला इससे साफ़ जाहिर है की इसमें और भी लोग मिले हुए थे जिसका खुलासा जांच में या फिर रितेश ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद होगा क्योकि यदि इंटरनल ऑडिट नहीं आती तो इसका पता बैंक मैनेजर को तो लगा नहीं या फिर मैनेजर खुद भी इस पूरे घोटाले में शामिल है इन सब बातो से पर्दा जांच में उठेगा
वही एक ख़ास बात यह की बैंक में क़ानून है की यदि कोई भी घोटाला पांच करोड़ से ऊपर का है तो उसे सीबीआई जांच के लिए देना अनिवार्य है, ऐसे में आने वाले एक दो दिन में पूरा मामला सीबीआई के हेंडओवर हो सकता है और सीबीआई के पास मामला जाने के बाद इस में शामिल और लोगो पर भी शिकंजा कसेगा