नीमच नगर पालिका का दफ्तर जब बंगला नंबर 60 में लगता था तब यहाँ के आखरी सीएमओ देवेंद्र सिंह थे वे 1993 में आये थे और उन्ही के कार्यकाल के अंतिम महीनो में नपा का दफ्तर टीआईटी की बिल्डिंग यानि वर्तमान नगर पालिका ऑफिस में शिफ्ट हो गया था, उस शिफ्टिंग की भी अलग कहानी देवेंद्र सिंह 1997 तक यहाँ रहे उसके बाद उनका तबादला हो गया उन्होंने लम्बी पारी खेली यानी चार साल तक अपने मुआफ़िक नगर पालिका चलाई
ये राम कहानी एक ख़ास वजह से लिखी हाल ही में पुरानी नगर पालिका बँगला नंबर 60 में सैंकड़ो फाइलें रखी हुयी दिखी जो पूरी तरह बारिश और हवा से सड़- गल चुकी है नपा का दफ्तर 1997 में स्थांतरित हुआ तब से अब तक 25 साल गुज़र गए लेकिन किसी भी अफसर ने इन फाइलों की सुध नहीं ली यह घटना इस बात को रेखांकित करती है की नपा में काम करने वाले अफसरों का टर्न आउट कैसा है जब वे अपने रिकॉर्ड को 25 साल में सहज नहीं सके तो वे इस शहर को स्वच्छ और सुन्दर बनाने का काम कैसे कर सकते है इन फाइलों का मामला उजागर होने के बाद काटजू मार्केट हादसे के कारण नौकरी पर लगे महेश रामानी जो अफसरों की भारी कृपा के चलते ऑफिस सुप्रिडेंट के पद पर काबिज है ने मीडिया से कहा की ये फाइलें नपा के किसी काम की नहीं, जबकि न तो उन्होंने इन फाइलों को आज तक जाकर देखा और नहीं उन्हें उलट पुलट कर पढ़ा इनको ब्यान देकर फंद काटना था सो काट दिया फिर यदि ये फाइलें काम की हुयी तो भी इनका क्या आम जनता से जुड़ा रिकॉर्ड है रहे या न रहे रोयेगी जनता जिनका रिकॉर्ड नहीं मिलेगा
मेने अपनी रिपोर्ट के शुरुआत में सीएमओ देवेंद्र सिंह का जिक्र किया उनके जमाने में एक बड़ा स्केंडल हुआ था, और वह स्केंडल था बँगला बगीचे से जुड़े रिकॉर्ड का ये रिकॉर्ड गायब हो गया था कुछ समय बाद सीएमओ देवेंद्र सिंह को एक काला बॉक्स मिला ये काला बॉक्स दरअसल वो काली पेटी थी जो किसी जमाने में सीआरपीएफ के लोग अपना सामान रखने के लिए इस्तेमाल करते थे और यह काली पेटी काफी बड़ी होती थी और स्पेशली नीमच में कुछ टीन का काम करने वाले बनाते थे
उस बॉक्स में बँगला बगीचा से जुड़े काफी महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले लेकिन वो कम थे काफी रिकॉर्ड गायब हो गया ये रिकॉर्ड गायब करवाया गया या फिर नपा के तत्कालीन कर्मचारियों ने इसे गायब किया इस राज़ से पर्दा आज तक नहीं उठा चूँकि नीमच नपा में रिकॉर्ड गायब होना या करवा दिया जाना कोई नयी बात नहीं, ढाई सौ भूखंडो वाले मामले में भी रिकॉर्ड गायब हुआ जिसमे से कुछ मिला कुछ आज तक नहीं मिला, ये ढाई सौ भूखंड यानि 34 - 36 वाला मामला
एक मौका ऐसा भी आया था जब नीमच जिले के पहले कलेक्टर प्रभात पाराशर अचानक नपा के दफ्तर पहुंचे थे और उन्होंने बरसो से बंद कई अलमारियों के ताले तुड़वाये तो उसमे हज़ारो महत्वपूर्ण दस्तावेज़ मिले थे
कुल मिलाकर नपा में पिछले 25 सालो से रिकॉर्ड को गायब करवाने या खुर्द बुर्द करवाने की जो सुनियोजित कवायद चलती रही है वो किसी ख़ास वजह से है इन तमाम मामलो की गहराई से जांच की जाना थी लेकिन राजनैतिक प्रेशर और दूसरी व्यवस्थाओ के चलते मामले उजागर हुए फिर बाद में वो फाइलें बंद कर दी गयी और नपा नीमच में ये सब जो सालो से चलता आ रहा है उसी का नतीजा है की शहर में बँगला बगीचा और 34 - 36 जैसे मामले विकराल रूप में सामने है
इन सब मामलो का सही हल इसीलिए नहीं निकल पाया की इनसे जुड़े रिकॉर्ड गायब थे, लेकिन इसमें नपा के अफसरों और कर्मचारियों का तो कुछ बिगड़ना है नहीं, मुश्किल तो आम जनता को उठानी पढ़ती है, ये तमाम समस्याओ के कारण नीमच नगर पालिका अफसरों के लिए चरागाह बनी रही और इसी का नतीजा है की एमपी की 420 नगर पालिकाओं, नगर पंचायतो में सबसे महँगी कुर्सी नीमच नपा के सीएमओ की मानी जाती रही, जो दस्तावेज बँगला नंबर 60 में मिले वो तो ऑफिस सुप्रिडेंट के हिसाब से किसी काम के नहीं, इसलिए उस पर अब क्या बात की जाये,जय हिन्द !