चित्तौड़गढ़। शहर के संगम मार्ग स्थित दीपक गार्डन में पुंगलिया परिवार द्वारा आयोजित संगीतमय नानी बाई का मायरा कथा प्रारंभ हुई। व्यास पीठ से अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय शाहपुरा के संत रमताराम महाराज के शिष्य संत दिग्विजयराम महाराज ने पहले दिन शनिवार सुबह कथा में कहा कि मायरे में नानी बाई के सासरे से नरसीजी को एक पत्रिका भेजी गई, जिसमें भात भरने की सूची और सामान की सूची थी। मायरे में क्या चाहिए? जब वो पत्रिका नरसीजी को मिली तो नरसीजी ने उसे भगवान कृष्ण के चरणों में रख दी। कहते है तेरे भरोसे मेरी गाड़ी तू जाणे तेरा काम जाणे।
संत दिग्विजयराम ने कथा में कहा कि कथाएँ दो प्रकार की होती है। एक भगवान की, दूसरी भक्त की। भगवान की कथा में भक्त आते है। भक्त की कथा में स्वंय भगवान। 52 बार भगवान बैकुंठ से भक्तों के लिए धरती पर आए है। संत दिग्विजयराम ने बताया कि नानी बाई का मायरा एक दिव्य कथा है। जिसका जिसका चित्तौड़ की भूमि से गहरा नाता है। मीरा की भक्ति के समय ही नानी बाई के मायरे की रचना हो गई थी। संत ने कथा श्रवण करवाते हुए बताया कि यह कथा 1470 ईस्वी की कथा होकर कलयुग की कथा है। यह विश्वास व भरोसे की कथा है। हम सबका जीवन भगवान के भरोसे है। महात्मा- परमात्मा का जब तक सानिध्य नहीं मिलता तब तक जीवन रुपी नैया पार नही हो सकती। संत दिग्विजयराम ने प्रवचनों में बताया कि नरसी ही नहीं जिस किसी ने भगवान के चरणों में आस्था, विश्वास रखा, उसका बेड़ा पार हुआ। भक्तों के ऐसे उदाहरण से भगवान वशीभूत होकर दौड़े चले आते है।
नानी बाई के मायरे में पहले दिन नरसी जी को उनकी बेटी के ससुराल से मायरे की सूची बनाने के प्रसंग पर श्रोता भाव विभोर हो गए। आरती के साथ प्रसाद वितरण किया गया।
कथा से पूर्व मीरा नगर स्थित ऋतुराज वाटिका से भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जोकि उत्साह के साथ आयोजन स्थल पहुंची। संतो का कन्हैयालाल पुंगलिया, सोहनलाल पुंगलिया, सत्यनारायण पुंगलिया, शांतिलाल पुंगलिया, गोपाल पुंगलिया, संजय पुंगलिया, संपत लाल काल्या, अशोक समदानी ने स्वागत किया। शोभायात्रा में बैंडबाजे भजनों की सुमधुर स्वर लहरियां बिखेरते हुए सबसे आगे चल रहे थे। महिलाएं माथे पर मंगल कलश लिए चल रही थी। भजनों पर श्रद्धालु थिरक रहे थे। एक बग्गी में संत रमताराम महाराज व दिग्विजयराम महाराज विराजित होकर भक्तों को आशीर्वाद दे रहे थे। शोभायात्रा गाजे-बाजे, ढोल ढमाको के साथ आयोजन स्थल पहुंची। मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा से शोभायात्रा का स्वागत हुआ। कुकड़ा रेजीडेंसी के बाहर संपत काल्या व उनके परिवार द्वारा शोभायात्रा का स्वागत किया गया।संतो का पुष्पाहार किया गया।
सजीव झांकियां रही आकर्षण का केंद्र-
कथा के दौरान भक्त नरसीजी, भगवान भोलेनाथ,भगवान कृष्ण की झांकिया आकर्षण का केंद्र रही। श्रद्धालुओं के बीच प्रसंग के अनुसार झांकियो का मंचन देखते ही बन रहा था।
सुमधुर भजनों पर थिरकने लगे श्रोता-
कथा के दौरान मेरो प्यारों नंदलाल किशोरी राधे,हरे राम हरे कृष्णा,भरोसे थाके चाले सा सतगुरु म्हारी नाव आदि भजनों पर श्रद्धालु श्रोता अपने स्थान पर खड़े होकर थिरकने लगे।
कथा का समय सुबह 10 बजे से डेढ़ बजे तक रहेगा-
दीपक पुंगलिया ने बताया कि तीन दिवसीय कथा प्रतिदिन सुबह 10 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक शहर के संगम मार्ग स्थित दीपक गार्डन में आयोजित होगी।
राज्यमंत्री जाड़ावत भी कथा में पहुंचे-
राज्यमंत्री सुरेंद्रसिंह जाड़ावत नगर परिष्द सभापति संदीप शर्मा के साथ कथा में पहुंचे।कथा श्रवण करने के बाद व्यास पीठ को प्रणाम कर संतो से आशीर्वाद लिया।