देवास। कृषि विज्ञान केन्द्र देवास द्वारा विकासखण्ड कन्नौद के ग्राम चपलासा में ग्रीष्मकालीन मूंग पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव, शस्य वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह एवं वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी श्रीमती अंकिता पाण्डेय एवं कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री दिनेष भावसार, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री ललित कुमावत के साथ-साथ लगभग 50 कृषकों ने भागीदारी की।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए.के.बड़ाया ने प्रक्षेत्र दिवस के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र देवास द्वारा नई-नई प्रजातियों के प्रचार-प्रसार एवं विभिन्न गांवों में नई-नई किस्मों के प्रदर्शन प्लाट तथा अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन डलवाये जाते हैं। जिसके अंतर्गत कन्नौद विकासखण्ड के ग्राम चपलासा, पानीगांव एवं खीरी में ग्रीष्मकालीन मूंग की नई किस्म एम.एच. 421 दी गई थी। कृषकों के यहां लगाये गये विभिन्न प्रदर्षनों में देखा गया कि इस उन्नत किस्म की उत्पादन क्षमता परंपरागत किस्मों से अधिक थी। साथ ही इस किस्म की परिपक्वता अवधि भी परंपरागत किस्मों की अपेक्षा कम है तथा इस किस्म में कीटव्याधि एवं बीमारियों का प्रकोप काफी कम पाया जाता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र देवास के शस्य वैज्ञानिक डॉ. महेन्द्र सिंह ने बताया कि कृषकों को खेती में उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत को कम करने के प्रयास भी करना चाहिए। इसके लिए उन्होंने किसानों को खेती प्रबंधन, बीजोपचार, सही बीजमात्रा, फसलचक्र आदि शस्य क्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही उन्होंने लागत कम करने के लिए खेती में जीवामृत का उपयोग करने व इसे बनाने की विधि के बारे में अवगत कराया।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस.भार्गव ने सिंचाई जल प्रबंधन पर विस्तृत चर्चा करते हुए खेती में उन्नत कृषि यंत्रों के उपयोग पर प्रकाष डाला। साथ ही उन्होंने कस्टम हाईरिंग सेंटर के माध्यम से कृषि यंत्रों को अपनाने के बारे में जानकारी दी।
केन्द्र की वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी श्रीमती अंकिता पाण्डेय ने केन्द्र की प्रसार गतिविधियों के बारे में अवगत कराते हुए संवर्धन एवं मार्केटिंग के बारे में विस्तृत चर्चा की। इस कार्यक्रम में लगभग 50 कृषकों ने भागीदारी की।
--
वॉइस ऑफ़ एमपी की मुहीम- बेज़ुबान पक्षियों के लिए दान करें सकोरे या फिर अपने मकान की छत पर रखे सकोरे, भीषण गर्मी में सुने इनकी फ़रियाद।