कटनी। वनवासी लीला की शानदार प्रस्तुतियों की श्रृंखला में दूसरे दिन जागृति पार्क में राम कथा के भक्तिमती शबरी प्रसंग का मंचन हुआ। इसमे ईश्वर आस्था और प्रेम की पूर्णता का परिचय कराती भाव प्रवण प्रस्तुति से माता शबरी के भगवान श्री राम के प्रति अगाध प्रेम को देखकर दर्शक भक्ति भाव मे डूब गए। रामायण काल का त्रेतायुग जीवत हो उठा, जब माता शबरी के जूठे बेर भगवान श्री राम ने प्रेम से खाया। श्री राम भक्त शबरी की निष्काम भक्ति और सरलता पर मोहित थे। शबरी की भक्ति आज भी निष्छल प्रेम की मिशाल है। दरअसल पर श्री राम और माता शबरी का मिलन सहस्त्रो शताब्दियों से भक्त और भगवान के विश्वास का प्रमाणिक उदाहरण रहा है। माता शबरी सिद्ध तपस्विनी होने के बाद भी प्रभु से मिलने के भाव विहवल होकर सुध-बुध खो देती है और भगवान को स्वयं चख-चखकर जूठे बेर खिलाती है।
शबरी प्रसंग मनुष्यता के इतिहास में भक्त और भगवान के बीच तादात्म्य स्थापित करने का अनूठा दृष्टांत है। मतलब यदि भक्ति शबरी जैसी हो तो भक्त और भगवान का मिलन अमर कहानी में बदल ही देती है।इस प्रस्तुति का निर्देशन सविता दाहिया ने किया।
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