डेस्क। एमपी की सियासत में सबकुछ अच्छा चलते हुए अचानक नए वर्ष के आगाज के साथ भूचाल सा आने लगा है। कुछ महीनों बाद ही प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए ये राह आसान नहीं लग रही है। बीजेपी संगठन में कुछ नेताओं के मन में दबा हुआ विरोध का लावा अब ज्वालामुखी बनकर फुट गया है। इसका मुख्य कारण राजनीतिक पंडित, सिंधिया को जिम्मेवार मान रहे हैं।
2019 में कांग्रेस से बगावत कर ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हुए थे। सिंधिया के साथ उनके कई समर्थकों ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। जिसकी वजह से कमलनाथ की सरकार गिरी और फिर से भाजपा को प्रदेश की सत्ता मिली। शुरुआत में तो सबकुछ ठीक ही रहा था। लेकिन जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे भाजपा में अंदरूनी खींचतान भी बढ़ी है जो अब बाहर आती जा रही है। जहां सिंधिया के साथ आए समर्थकों की वजह से भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ता खुद को असहज महसूस करने लगे हैं। साथ ही विधानसभा उम्मीदवारी को लेकर भी इन नेताओं में संशय की स्थिति है। जिसके कारण अब ये नेता खिलाफत की ओर अग्रसर होते जा रहे हैं।
भाजपा के कई नेता खुलेआम सिंधिया को जिम्मेदार बताकर कांग्रेस में चले गए हैं। वहीं सूत्रों का मानना है कि अभी कई ऐसे भाजपा नेता है जो सिंधिया की वजह से नाराज चल रहे हैं और कभी भी भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं। कांग्रेस भी ऐसे भाजपा नेताओं से लगातार संपर्क बना रही है जो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में फायदा पहुंचा सके।
दल बदल की इस राजनीति में तो आज का घटनाक्रम बड़ा अचंभित करने वाला रहा। जहां खुद सिंधिया समर्थक ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। सिंधिया के साथ ही भाजपा में शामिल हुए शिवपुरी के बैजनाथ यादव ने आज सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस में वापसी कर ली। यादव आज 300 गाड़ियों के काफिले के साथ भोपाल पहुंचे। बैजनाथ यादव के साथ बदरवास की जनपद अध्यक्ष मीरा सिंह ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। यादव का कहना है कि उनका बीजेपी के नेताओं के साथ तालमेल नहीं बैठ रहा था। इसलिए उन्होंने भाजपा छोड़ दी।
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