धार। कलेक्टर प्रियंक मिश्रा द्वारा निर्देश दिए है कि कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम 2013 के धारा 4 के तहत कार्यस्थल पर महिलाओं के सुरक्षित और युक्तियुक्त वातावरण उपलब्ध हेतु समस्त संस्थानों में जहां 10 या 10 से अधिक कर्मी कार्यरत हैं ऐसे संस्थानों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। इस संबंध में जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने बताया कि अधिनियम के तहत् सभी शासकीय/अशासकीय कार्यालयों संस्थानों में जैसे (शासकीय/अशासकीय शैक्षणिक संस्थानों, अस्पताल, बैंक/फैक्टरी/कारखाने/ रेस्टोरेंट) समस्त थाना अंतर्गत, जनपद पंचायत, तहसील कार्यालयों, सहकारी समितियों, आयुष विभाग, वेटनरी अस्पतालों इस प्रकार के समस्त कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना है। आंतरिक परिवाद समिति में एक पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्यस्थल पर कार्यरत वरिष्ठ महिला अधिकारी/कर्मचारी को नियुक्त किया जाए। समिति में 5 सदस्य होंगें। कर्मचारियों में से दो सदस्य ऐसे होंगे जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध है अथवा जिनके पास समाज सुधार के कार्य में अनुभव है या विधिक ज्ञान हो। महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध लैंगिक उत्पीड़न संबंधित मुद्दों से परिचित गैर-सरकारी संगठनों से एक सदस्य नामांकित किया जायेगा कुल नामांकित सदस्यों में से कम से कम आधी सदस्य महिलायें होगी (01 पुरूष अनिवार्य है) समिति के पीठासीन अधिकारी एवं सदस्यों की नियुक्ति अधिकतम 3 वर्ष के लिए होगी। 3 वर्ष पश्चात समिति का पुर्नगठन किया जाएगा। आंतरिक समिति का गठन संबंधी आदेश को कार्यस्थल में किसी सहदृश्य स्थान पर एक बोर्ड के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा। आंतरिक परिवाद समिति गठित नहीं होने पर अधिनियम की धारा 26 अनुसार राशि 50 हजार रूपा का जुर्माने का प्रावधान है यदि आंतरिक परिवाद समिति गठित नहीं होती है तो संबंधित कार्यालय/संस्थान पर जुर्माना किया जावेगा।