नीमच। हिंसा से बचना चाहिए यदि हम हिंसा करते हैं तो हमारे पाप कर्म बढ़ते हैं और पाप कर्म के फल की सजा दुख के रूप में मिलती है। इसलिए सदैव पुण्य कर्म करना चाहिए। हिंसा से बचना चाहिए। हिंसा का त्याग करें तो आत्म कल्याण हो सकता है।
यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, आगम मनस्वी साहित्य भूषण कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम जैसे कर्म करेंगे वैसे ही हमें फल मिलेंगे इसलिए हम सदैव दूसरों की भलाई के कार्य करते रहें। पाप कर्म के फल से कोई बच नहीं सकता है। संथारा इच्छा से करें वह महत्वपूर्ण पुण्य कर्म होता है।
संगीता चिपड पदमा पगारिया चित्तौड़गढ़ ने हर जन्म में गुरुवर तेरा साथ चाहिए ...गीत तथा रानी राणा ने जोत से जोत जलाते रहो तपस्या करते रहो तप बढ़ाते रहो.... अभी रचना प्रस्तुत किया। धर्म सभा में मुकेश जैन इंदौर अनिल जैन बड़ी सादड़ी , सुनील लालवानी आदि ने भी विचार व्यक्त किए।चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है।
इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा.एवं साध्वी विजय श्री जी म. सा. का सानिध्य मिला। इस अवसर पर श्री अभिजीतमुनिजी म. सा., श्री अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर श्री वर्धमान स्थानकवासी श्रावक संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम्म, चातुर्मास समिति संयोजक बलवंत सिंह मेहता, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी ,दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा ,साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला परमार आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। इंदौर रतलाम, जावद जीरन, चित्तौड़गढ़, छोटी सादड़ी निंबाहेड़ा जावरा नारायणगढ़, उदयपुर आदि क्षेत्र से समाज जन सहभागी बने और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन प्रवक्ता भंवरलाल देशलहरा ने किया।