उज्जैन। पारंपरिक कोर्स को छोड़कर अब युवाओं का रूझान संस्कृत, योग, ज्योर्तिविज्ञान, कर्मकांड, वास्तुशास्त्र, फलित ज्योतिष जैसे पाठ्यक्रमों की ओर बढऩे लगा है। यही कारण है कि महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की 950 सीटों में 500 से अधिक सीटों पर प्रवेश हो चुका है। प्रवेश के लिए अंतिम तिथि 14 अगस्त है।
देवास रोड़ स्थित महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय में संचालित पाठ्यक्रमों स्नातकोत्तर आचार्य सीबीसीएस के आठ, एमए के 6, स्नातक शास्त्री के 8, स्नातक डिप्लोमा के 15, स्नातकोत्तर डिप्लोमा के 7 और एमएससी योग, बीए बीएड के पाठ्यक्रमों में 1 जुलाई से प्रवेश की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॅा. दिलीप सोनी ने बताया कि विश्वविद्यालय में यूजी की 240 सीटों में 87, पीजी की 270 सीटों में 129, यूजी डिप्लोमा की 300 सीटों में 240 पीजी डिप्लोमा की 140 सीटों में 61 और बीएड की 26 सीटों पर विद्यार्थियों के प्रवेश के साथ ही कुल 950 में से 543 सीटों पर प्रवेश हो चुका है। हालांकि प्रवेश के लिए अंतिम तिथि 14 अगस्त है। यदि शासन की ओर से आदेश आता है तो अंतिम तिथि आगे बढ़ाई जा सकती है। बता दें कि संस्कृत विश्वविद्यालय का 17 अगस्त 2008 को तत्कालीन राज्यपाल एवं कुलाधिपति बलराम जाखड़ ने शुभारंभ किया था। पहले इस विश्वविद्यालय का नाम महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय था। बाद में अध्यादेश में संशोधन के बाद 23 मार्च 2010 को इसमें वैदिक शब्द भी जोड़ा गया। वर्ष 2009 से संस्कृत विश्वविद्यालय में शोध कार्य के लिए पंजीयन शुरू हुए थे। विश्वविद्यालय के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न शहरों के 20 से अधिक संस्कृत कॉलेज संबद्ध है। इन कॉलेजों में अध्ययनरत करीब 1500 विद्यार्थी विश्वविद्यालय के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय का भी अध्यापन विभाग है, जो देवास रोड पर अभिलाषा कॉलोनी के सामने संचालित होता है। यहां भी करीब 500 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।