इंदौर। भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की दूसरी सूची में जो नाम सबसे ज्यादा चौंकाने वाले रहे हैं, उनमें एक नाम केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल का भी है। आठ बार सांसद का चुनाव लड़े पटेल पहली बार विधानसभा चुनाव मैदान में हैं और वह भी अपने छोटे भाई जालमसिंह पटेल की सीट से।
पटेल इंदौर आए तो भास्कर ने उनसे पहला सवाल यही पूछा कि दूसरी सूची में दिग्गजों को अपने क्षेत्रों से मैदान में उतारने के मायने यह तो नहीं कि पार्टी ने खुली प्रतिस्पर्धा कर दी है कि अपने क्षेत्र से जो सबसे ज्यादा सीट लेकर आएगा। वही शीर्ष कुर्सी पर बैठाया जाएगा। जवाब में पटेल ने कहा, यह भाजपा की रीति-नीति नहीं। यह हमारी भाषा भी नहीं है। इस फैसले से किसी का कद कम-ज्यादा नहीं हुआ। मैं इससे खुश हूं। कैलाश विजयवर्गीय भी सहर्ष लड़ रहे हैं।
पांच राज्यों में चुनाव है और पार्टी ने कहीं भी सीएम फेस घोषित नहीं किया है। किसी एक राज्य में घोषित करते व दूसरे में नहीं तब अंगुलियां उठ सकती थीं। मप्र में पार्टी मजबूत स्थिति में है। कौन लोअर हाउस में रहेगा या अपर में, यह फैसला पार्टी करती है।
यह मतलब निकालना बिलकुल भी ठीक नहीं। शिवराज 18 वर्षों से मप्र के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने ही मप्र को बीमारू से विकसित राज्य बनाया है। वे बड़ी शख्सियत हैं। जब अविभाजित मप्र था, तब मैं और शिवराज साथ में काम करते थे। जिम्मेदारियां बदलती रहती हैं।
मैं हमेशा कहता हूं कि मैं पिछड़ा वर्ग से हूं, लेकिन पिछड़ा नहीं हूं। मेरे परिवार से किसी ने पिछड़ा वर्ग का सर्टिफिकेट नहीं बनवाया। मैंने 1991 में इसकी घोषणा कर दी थी। क्रीमी लेयर वाली व्यवस्था तो बहुत बाद में आई।
जब अपने गोटेगांव में काम कर रहे थे तब कभी नहीं सोचा था कि यहां तक पहुंचेंगे। मॉरीशस में था, जब मुझे वहां से बुलाकर कहा गया कि बालाघाट से लड़ना है। सिवनी से चार चुनाव लड़े। केंद्रीय मंत्री था तब छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ा।
ये परसेप्शन कांग्रेस बनाने की कोशिश कर रही है। महिला आरक्षण पर भी बहुत बेमन से साथ दिया। मोदी जी की सारी योजनाएं महिला सशक्तिकरण की हैं। भ्रम फैलाने की राजनीति कांग्रेस के लिए नई नहीं है।