जबलपुर। कमिश्नर अभय वर्मा ने कहा है कि वर्तमान युग में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी बहुत अधिक उपयोगी है। इसकी मदद से नये रहस्य जानने को मिल रहे हैं। वे आज पंडित लज्जा शंकर माडल स्कूल जबलपुर में संचालित ज्ञानाश्रय निःशुल्क कोचिंग क्लासेस के छात्र छात्राओं को समझा रहे थे। इस दौरान सहायक संचालक आदर्श परिवार एवं आधुनिक नालंदा निःशुल्क कोचिंग क्लासेस जबलपुर संतोष सिंह सेंगर एवं अंकित योगी और छात्र छात्राएं उपस्थित थे। आयुक्त वर्मा ने कहा कि आर्यभट्ट भारत द्वारा छोड़ा गया पहला उपग्रह था, जिसे 1975 में रूस के अंतरिक्ष केंद्र इंटर कोसमॉस से इसका प्रक्षेपण किया गया था।
उन्होंने कहा कि सेटेलाइट दो प्रकार के होते है प्राकृतिक उपग्रह जैसे – पृथ्वी और चंद्रमा दूसरे कृत्रिम उपग्रह (मानव द्वारा निर्मित) होते है, जिन्हे मानव द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है जैसे – आर्यभट्ट, रोहिणी, एप्पल आदि। कार्य के आधार पर सेटेलाइट को मौसमी सेटेलाइट, संचार सेटेलाइट, वैज्ञानिक सेटेलाइट, दूर संवेदी सेटेलाइट (रिमोट सेंसिंग) और नौवहन सेटेलाइट आदि भागों में बांटा गया है। उन्होंने कहा कि भारत में एसएलवी,एएसएलवी, पीएसएलवी, जीएसएलवी आरएसएलवी जैसे प्रक्षेपण यान तकनीक द्वारा सेटेलाइटों को अंतरिक्ष में छोड़ा जाता है।
उन्होंने प्रमुख भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के बारे में विस्तार से बताया जैसे – इसरो, डीआरडीओ, सीएसआईआर आदि के साथ में बताया कि इसरो का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को संचालित करना है और इसका प्रमुख कार्य– उपग्रहों का निर्माण, प्रक्षेपण, सूचनाओं का संग्रह और आंकड़ों का विश्लेषण आदि है।
उन्होंने कहा कि रडार वस्तुओं का पता लगाने वाली एक प्रणाली है, जो सूक्ष्मतरंगों का उपयोग करती है। इसकी सहायता से गतिमान वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, मोटरगाड़ियों आदि की दूरी, ऊंचाई, दिशा, चाल आदि का दूर से ही पता चल जाता है। इसके अलावा मौसम में तेजी से आ रहे परिवर्तनों का भी पता चल जाता है। उन्होंने कहा लो फ़्लाइंग डिटेक्शन रडार, जिसे भारतीय डॉपलर रडार (INDRA) भी कहा जाता है , सेना और वायु सेना के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार विकास प्रतिष्ठान द्वारा 2D रडार की श्रृंखला विकसित की गई थी। फिर इनका उत्पादन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा किया गया, जो आम तौर पर एलआरडीई का उत्पादन भागीदार था। उन्होंने कहा कि भारत के प्रमुख रडार इंद्र, राजेन्द्र,स्वाति, अस्वनी है। आयुक्त वर्मा ने मंगल यान, शुक्रयान, चंद्रमा–3 के बारे में विस्तार से समझाया और कहा कि पहला भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा है।
उल्लेखनीय हैं कि कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन की पहल और आदर्श परिवार एवं आधुनिक नालंदा के डायरेक्टर परीक्षित भारती के सहयोग से जबलपुर में 01 मार्च से यूपीएससी एवं एमपीपीएससी की तैयारी के लिए निःशुल्क कोचिंग क्लासेज नियमित संचालित की जा रही है।