बिन तुम्हारे कहीं अब तो लगता न मन।
दो तुम्हारे नयन दो हमारे नयन।
देह में नेह के पल उभरने लगे,
उर मुकद्दर हमारे सँवरने लगे
हो गई भोर ज्यों खिल गया हो चमन।
दो तुम्हारे नयन दो हमारे नयन।
इस तरह दिल हमारा मचलने लगा,
दिल मिलन के लिए और जलने लगा,
स्वप्न सारे सुखों के हुए हैं हवन।
दो तुम्हारे नयन दो हमारे नयन।
देखते देखते दूर हम हो गए,
अश़्क छलके पलक और नम हो गए,
हार बैठी थी दिल अंकिता की लगन।
दो तुम्हारे नयन दो हमारे नयन।