नीमच। कांग्रेस नेत्री मधु बंसल ने जिला मुख्यालय स्थित शासकीय भवनों, अदालतों और जिला अस्पताल में फैली गंदगी व अव्यवस्था पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के साथ विश्वासघात है।
क्या यही है प्रशासन की पहचान?
मधु बंसल ने कहा कि न्याय की उम्मीद लेकर जनता जब अदालतों और दफ्तरों में आती है तो उसका सामना टूटी-फूटी सीढ़ियों, पान-गुटखे से सनी दीवारों और बदबूदार शौचालयों से होता है। उन्होंने सवाल उठाया कि “क्या यही है जनता का स्वागत करने का तरीका? क्या यही है नीमच प्रशासन की पहचान?”
भाषण और रैलियाँ, लेकिन हकीकत शर्मनाक
कांग्रेस नेत्री ने आरोप लगाया कि अधिकारी मंचों से स्वच्छता अभियान और तंबाकू विरोधी रैलियाँ निकालते हैं, लेकिन अपने ही दफ्तरों की हालत नहीं देख पाते। “जहाँ से जनता को संदेश जाना चाहिए, वहीं चिराग तले अंधेरा जैसी शर्मनाक स्थिति है,” उन्होंने कहा।
जिला अस्पताल की बदहाली-
बंसल ने जिला अस्पताल की दुर्दशा पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थल पर गंदगी, कीचड़ और मच्छरों का बोलबाला है। मरीज इलाज कराने आते हैं लेकिन दूसरी बीमारियों का शिकार होकर लौटते हैं। निरीक्षण के वक्त दिखावे की सफाई कर दी जाती है, पर रोज़ाना व्यवस्था क्यों नहीं होती? उन्होंने आरोप लगाया कि स्वच्छता व रखरखाव के लिए मिलने वाला करोड़ों का फंड आखिर कहाँ जा रहा है?
इच्छाशक्ति की कमी है
बंसल ने कहा कि इंदौर, उज्जैन और मंदसौर जैसे जिले साफ-सुथरे और अनुशासित कार्यालय बना सकते हैं तो नीमच क्यों पिछड़ रहा है? उन्होंने सवाल उठाया कि
गंदगी फैलाने वालों पर जुर्माना लगाने के लिए सीसीटीवी क्यों नहीं लगाए जाते?
प्रेरक चित्र और स्लोगन दीवारों पर क्यों नहीं लिखवाए जाते?
आधुनिक शौचालय और स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था क्यों नहीं होती?
जनता की गरिमा का सवाल-
अंत में मधु बंसल ने कहा कि यह केवल स्वच्छता का नहीं, बल्कि जनता की गरिमा और सम्मान का सवाल है। “जब जनता अपने ही शासकीय भवनों और अस्पताल में गंदगी देखती है तो उसका विश्वास प्रशासन से उठ जाता है,” उन्होंने कहा। कांग्रेस नेत्री ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने तत्काल कदम नहीं उठाए तो कांग्रेस इस मुद्दे को सड़क से सदन तक उठाएगी। जनता अब केवल भाषण नहीं, बल्कि ठोस बदलाव चाहती है।