ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने सरकारी जमीनों को खुर्द-बुर्द किए जाने के मामले में विधि और राजस्व विभाग के प्रमुख सचिवों को 11 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। दोनों अधिकारियों को न्यायालय में उपस्थित होकर बताना होगा कि सरकारी जमीनों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
प्रमुख सचिवों को पहले 6 अगस्त को न्यायालय के सामने वर्चुअल उपस्थित होना था, लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि विधानसभा सत्र चल रहा है, जिसके कारण वे व्यस्त थे। अब उन्हें 11 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होना होगा।
जनहित याचिका में उठा था मुरार की सरकारी जमीन का मामला
मामला दीपक कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि ग्राम मुरार के सर्वे क्रमांक 703, 705, 706, 707, 708 की कुल 4 बीघा 1 बिस्वा सरकारी जमीन के रिकॉर्ड में हेराफेरी कर रामचरण, गीता, पूरन आदि ने अपने नाम नामांतरण करा लिया है। याचिका में इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
प्रमुख सचिवों से मांगी थी प्रयासों की जानकारी
हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल 2025 को इस मामले पर टिप्पणी करते हुए सवाल उठाया था कि सरकारी जमीनों को बचाने में सरकार का प्रदर्शन चिंताजनक क्यों है? न्यायालय ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को जमीनों की सुरक्षा के लिए किए गए उपायों के बारे में बताने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था प्रमुख सचिव का शपथ पत्र
प्रमुख सचिव ने अपना शपथ पत्र पेश किया था, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने श्योपुर कलेक्टर के 7 फरवरी 2024 के पत्र को आंखें खोलने वाला बताया, जिसमें आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए हुए फर्जीवाड़े का खुलासा किया गया था।