चित्तौड़गढ़। राम द्वारा, दिल्ली, गेट, बूंदी रोड में आयोजित राम कथा से पूर्व संत रामताराम जी व दिग्विजय रामजी के सानिध्य में स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया गया उनके बलिदान की वजह से आज हम इस आजादी के पर्व को मना रहे हैं।
संत दिग्विजय राम ने कहा जहां राम धर्म जरूरी है वही प्रथम राष्ट्र धर्म है यदि राष्ट्र है तो राम है संत कहते हैं मौत वही अच्छी है जो राष्ट्र के लिए काम आती है। उन्होंने वीर सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि राष्ट्र के लिए जीना और राष्ट्र के लिए प्राण देना कोई छोटी बात नहीं है।
राम कथा के बारे में संत कहते हैं कि राम कथा हास्य का विषय न होकर मन भंजन का विषय है। नारी धर्म के बारे में संत बताते हैं कि नारी को पति को देव मानकर उसकी सेवा करना चाहिए बच्चों को संस्कारवान बनाना चाहिए आप बच्चों को संपत्ति न देकर संस्कार दो ताकि विल नहीं गुडविल बने ।
आज घर-घर में महाभारत होती है उसका मूल कारण यह है की बहू को बेटी नहीं माना जा रहा है , बच्चों को यह शिक्षा दो कि वह बहू नहीं इस घर की बेटी ला रहे हैं घर में बहू का सम्मान बेटी की तरह होगा तो महाभारत नहीं वह घर स्वर्ग बन जाएगा । राम कथा सारे संसार को पावन करने का सामर्थ्य रखती है कथा प्राप्त होने पर जीवन की व्यथा समाप्त हो जाती है स
संत ने कहा राम कथा सुनने से शरीर के सारे सनस्य समाप्त हो जाते हैं। आज संसार न श्सगुणश् को मानता है ना श्निर्गुणश् को आज व्यक्ति केवल श्तर्कश् गुण को मानता है जबकि सगुण व निर्गुण में कोई अंतर नहीं है दोनों एक ही है दोनों तरह की भक्ति कर उस परम ब्रह्म को प्राप्त किया जा सकता है । शास्त्र द्वारा प्रमाणित श्हरि नामश् व्यक्ति को भवसागर से पार लगा देता है इस पृथ्वी पर जब-जब भी धर्म की हानि होती है तब वह परमपिता परमात्मा अवतार लेता है और धर्म को इस धरा पर स्थापित करता है। राम कथा में प्रभु श्री राम का जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया