चित्तौड़गढ़। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की कोर कमेटी के नेतृत्व में साहित्य एवं कला प्रेमी न्यायिक विभाग के अधिकारी एडीजे जैतारण देव कुमार खत्री का चित्तौड़गढ़ आगमन पर हार्दिक स्वागत अभिनंदन किया गया। महेश नगर स्थित ठाकुर निवास पर जैतारण एडीजे देव कुमार खत्री, मंजू खत्री, देवेश खत्री मृणाल खत्री, बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक डॉ बीएल सारस्वत का अखिल भारतीय साहित्य परिषद के संरक्षक डॉ सुशीला लड्ढा, डॉक्टर दामोदर लड्ढा, परिषद के प्रांतीय कोषाध्यक्ष पंकज कुमार झा, राकेश कुमार चौधरी वरिष्ठ सलाहकार किशोर न्याय समिति राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर, उच्च न्यायालय जोधपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह शक्तावत ने माला एवं उपरना पहना कर स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ सुशीला लड्ढा ने मीरा पर लिखे अपने साहित्य को भी भेंट किया। ठाकुर निवास पर निर्मित मोलेला टेराकोटा कला दीर्घा का भी अतिथियों ने निरीक्षण किया। डॉ सुशीला लड्ढा ने इस अवसर पर मीरा के भजनों पर आधारित मोलेला कला दीर्घा को विस्तार से समझाते हुए मीरा के जीवन से जुड़े कई प्रसंगों का स्मरण करवाया। इस अवसर पर एडीजे देवकुमार खत्री ने कहा कि भक्ति साहित्य में मीरा बाई का अभूतपूर्व योगदान रहा है। बिना मीरा बाई के साहित्य के जोड़े भक्ति साहित्य अधूरा है। अतिथियों को चित्तौड़गढ़ दुर्ग का भ्रमण भी करवाया गया। राकेश कुमार चौधरी ने चित्तौड़गढ़ के इतिहास से अतिथियों को परिचित करवाते हुए कुम्भा महल, पद्मिनी महल, मीरा मंदिर, विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ आदि कई ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करवाया। दुर्ग पर स्थित खंडित मूर्तियां आक्रमणकारियों की विकृत मानसिकता का परिचय देती है। बाल अधिकारिता विभाग के सहायक निदेशक डॉ बीएल सारस्वत ने कहा कि महाराणा प्रताप, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, बप्पा रावल, पद्मिनी बाई, मीरा बाई, पन्ना धाय, रानी कर्मावती, कल्ला जी राठौड़ के इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता। मेवाड़ का इतिहास गौरवशाली इतिहास है। शक्ति, भक्ति, त्याग और बलिदान की भूमि चितौड़गढ़ को प्रत्येक देशप्रेमी को जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहिए।