भवानीमंडी। नेत्रदान के क्षेत्र में भवानीमंडी अब झालावाड़ जिले में ही नहीं वरन पूरे हाड़ौती संभाग में एक प्रमुख नगर के रूप में जाना जाने लगा है, अत्यंत दुख के समय में भी परिजनों के द्वारा नेत्रदान के लिए स्वयं पहल होने लगी है, इसी तरह का एक नेत्रदान भवानीमंडी में मेड़तवाल समाज के ओमप्रकाश जुलानिया की मृत्यु के पश्चात परिवार के द्वारा स्वयं पहल करके करवाया गया।
भारत विकास परिषद के नेत्रदान प्रभारी एवं शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र कमलेश दलाल ने बताया कि जर्दा व्यवसाई ओमप्रकाश जुलानिया का रात्रि 7 बजे हृदयाघात से आकस्मिक निधन के पश्चात संपूर्ण परिवार गहरे सदमे डूबा हुआ था, ऐसे में पार्थिव शरीर को अस्पताल से घर लाने के बाद स्वयं मृतक की धर्मपत्नी सुशीला देवी एवं भाई मदनलाल ने नेत्रदान की इच्छा प्रकट की, अत्यंत शोक स्तब्ध अवसर होने के बाद भी परिवार ने तुरंत ही उनके नेत्रदान का निर्णय लिया, एवं नेत्रदान प्रभारी कमलेश दलाल द्वारा सूचना देने पर शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ ने रात्रि को ही 12 बजे कार से भवानीमंडी पहुंचकर कोर्निया प्राप्त किया।
जिस समय डॉ गौड़ को सूचना दी गई उस समय वह अपने करीबी मित्र हार्दिक पटेल की शादी में परिवार सहित घर से रवाना हो गए थे, रास्ते में भवानीमंडी से नेत्रदान का समाचार आने पर डॉ गौड ने परिवार के सदस्यों को वैवाहिक स्थल पर छोड़ा और तुरंत ही अपने मित्र की शादी को छोड़कर नेत्रदान का किट लेकर नेत्रदान लेने के लिए भवानीमंडी रवाना हो गये, शादी के कपड़ों में शोक वाले घर पर जाना थोड़ा असहज लग रहा था, एवं देर रात हो रही थी ऐसे में घर जाकर कपड़े बदलने में विलंब होता इसलिए बीच रास्ते में गाड़ी रोक कर उन्होंने कपड़े बदलें और आगे के लिये रवाना हो गये।
नेत्रदान प्रक्रिया में मृतक के पुत्र अभिषेक एवं भतीजे अमित, आशीष और पुत्री नेहा आदि ने सहयोग किया, शिक्षित परिवार होने के कारण रात्रि को 12 बजे संपन्न नेत्रदान के समय भी परिवार के सभी सदस्य महिलाएं, बच्चे उपस्थित थे एवं नेत्रदान में सहयोग कर रहे थे, घर पर उपस्थित सभी परिवारजनों एवं बाहर से आए रिश्तेदारों के सामने नेत्रदान संपन्न हुआ, उपस्थित सभी व्यक्तियों और महिलाओं ने नेत्रदान की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष देखा विशेषकर बाहर से आए हुए अधिकांश लोगों ने नेत्रदान प्रक्रिया को पहली बार देखा और जाना की नेत्रदान में किसी भी तरह की चेहरे पर विकृति नहीं आती है, इसमें केवल आंखों के ऊपर की झिल्ली जिसे कोर्निया कहा जाता है को ही लिया जाता है, इसमें पूरी आंख नहीं निकाली जाती है, सभी के सामने यह रक्तहीन प्रक्रिया 15 मिनट में ही पूरी हो गई। बाहर से आए रिश्तेदारों और समाज सदस्यों ने नेत्रदान प्रक्रिया को देखकर परिवारजनों के नेत्रदान के निर्णय की अत्यंत सराहना की।
नेत्र उत्सर्जक डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि मृतक ओमप्रकाश का कोर्निया अच्छा पाया गया है, जिसे आई बैंक जयपुर भिजवा दिया गया है। जहां यह दो असहाय नेत्रहीनों को नई नेत्रज्योति प्रदान कर सकेगा।
नेत्रदान प्रभारी कमलेश दलाल के अनुसार शाइन इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से यह भवानीमंडी क्षेत्र से प्राप्त 79 वाँ नेत्रदान है, एवं इस वर्ष का चौथा नेत्रदान प्राप्त हुआ है, वहीं भवानीमंडी से प्रेरित होकर अन्य शहरों में भी नेत्रदान जागरूकता बढ़ती जा रही है, एक दिन पूर्व ही राजगढ़ जिले के जीरापुर कस्बे से मेड़तवाल समाज का नेत्रदान हुआ है, वहीं इसी महीने झालरापाटन निवासी सत्यपाल अग्रवाल का नेत्रदान भी भवानीमंडी की प्रेरणा से प्राप्त हुआ है।
मेड़तवाल समाज के अध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता एवं परिवार के मित्र गोविंद गुप्ता ने बताया कि अत्यंत सरल और सादगी से जीवन जीने वाले ओमप्रकाश जुलानिया अपने मधुर स्वभाव से नगर और समाज में अत्यंत लोकप्रिय थे एवं सभी सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में हमेशा आगे रहते थे, इसीलिए उनके निधन के पश्चात पूरे समाज एवं आस-पड़ोस में एक शोक की लहर फैल गई। वहीं नेत्रदान के परोपकार के कार्य के लिए समाज सदस्यों ने परिवार की सराहना की है।