निम्बाहेड़ा। इंसान जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है परंतु पशु जिसका अन्न लेते हैं अपने प्राण लूटा करके हमारी रक्षा करते हैं। उक्त विचार राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने जैन दिवाकर चौथमल जी महाराज की 128 दीक्षा जयंती पर श्री जैन दिवाकर कमल गौशाला निम्बाहेड़ा में संबोधित करते कहा कि मूक प्राणियों की सेवा परमात्मा की सेवा करने के समान है इंसान नमक हराम हो सकता है लेकिन पशु वफादार होता है। उन्होंने कहा कि इंसान तो छीन कर लेगा कर्जा कर लेगा क्षेत्र छोड़ कर भाग जाएगा, परंतु मुक प्राणी अपनी पीड़ा व्यक्त नहीं कर सकते।
मुनि कमलेश के बताया कि पशु जगत हमारा अनंत उपकारी है हीरे पन्ने माणक मोती से कीमती है उसके बिना हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते। इंसान के बिना पशु जंगल में जिंदा रह सकते हैं लेकिन पशु के बिना इंसान जिंदा नहीं रह सकता पशुओं की हत्या इंसानों की हत्या से बढ़कर है। मानवाधिकार की भांति पशु अधिकार का भी अंतरराष्ट्रीय गठन होना चाहिए। पशु क्रूरता एक कानून क्रूर मजाक का शिकार हो रहा है।
समारोह की अध्यक्षता अखिल भारतीय श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस नई दिल्ली के मुख्य मार्गदर्शक एवं इंदौर संघ के महामंत्री रमेश भंडारी मुख्य अतिथि के रूप में रवि भंडारी इंदौर उपस्थित थे।
गौशाला के अध्यक्ष शांतिलाल मारू, हस्तीमल दुग्गड़, बसंतीलाल सियाल, बसंतीलाल सिंघवी, विजय कुमार मारु, प्रकाश मेहता, मनोहर ढेलावत, राजेश गांधी, दिलीप गांधी, ओम वीरवाल, अजीत वीरवाल, मदन वीरवाल, पारस मेहता ने सभी का स्वागत किया। गौशाला में गौ माता को गुड़ और हरा घास गुरु भक्तों ने खिलाया।