नीमच। महिलाएं कई चुनौतियों के साथ अपनी यात्रा शुरू करती हैं, फिर चाहे वह मनोवैज्ञानिक, जैविक, सामाजिक तनाव, भावनात्मक या आत्म-पहचान हो। महिलाओं के सुखी और संतोषजनक जीवन जीने के लिए मानसिक स्वास्थ्य और अधिकारिता दो आवश्यक चीजें हैं महिलाएं विशिष्ट मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति अतिसंवेदनशील होती हैं और पुरुषों की तुलना में महिलाओं को जीवन के विभिन्न चरणों में लगभग दो गुना अधिक मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे अवसाद, चिंता और अभिघातज के बाद के तनाव विकारों का सामना करना पड़ता है। यह बात रेड क्रॉस भवन में आयोजित स्वस्थ तन स्वस्थ्य मन कार्यक्रम में एसडीएम डॉ ममता खेड़े, मनोचिकित्सक डॉ स्वाति वधवा और डॉ लाड धाकड़ और डॉ अंकित माहेश्वरी ने संयुक्त रूप से कही।
महिलाओं और बच्चों को ध्यान में रखकर आयोजित किए गए शिविर की शुरुआत माँ सरस्वती को माल्यार्पण कर हुई जिसके बाद सभी ने अपना संबोधन दिया। शिविर के बाद मनोचिकित्सक डॉ स्वाति वधवा ने जिला चिकित्सालय के प्रसूति गृह में महिलाओं से बात कर उनकी काउंसलिंग भी की।