नीमच। मनुष्य में विवेक हो तो मधुर वाणी का उपयोग कर जीवन में हर कठिन से कठिन कार्य को सरलतापूर्वक पूर्ण कर सकता है। मधुर वाणी जीवन को सफलता के शिखर पर ले जाती है। गलत शब्दों के उपयोग वाली वाणी के कारण ही महाभारत हुई है। इसलिए सदैव अच्छी वाणी बोलना चाहिए वाणी ऐसी बोलनी चाहिए जिससे किसी के ह्रदय को ठेस नहीं पहुंचे। मधुर वाणी मोक्ष का प्रथम प्रवेश द्वार होता है।
यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, आगम मनस्वी साहित्य भूषण कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि साधु संत को गोछरी वैराते समय नियमों का पालन करना चाहिए। साधु संत को जो भोजन दान करना है उसको बनाने की पवित्रता साफ सफाई रखना चाहिए तभी उसके धर्म लाभ का पुण्य मिल सकता है। अहिंसा धर्म का मूल है। विवेक अहिंसा सिखाता है। विवेक नहीं हो तो संसार में सब गलत ही गलत होता रहता है ।शब्दों के तीर नहीं चलाना चाहिए शब्दों के फूलबरसाना चाहिए।जिस प्रकार कांटा चुभने के बाद भी दर्द होता है उसी प्रकार शब्दों की वाणी में कांटे हृदय में चुभते हैं। अतिथि का सम्मान करना चाहिए यदि हम अतिथि का सम्मान नहीं करेंगे तो अतिथि अपने पाप यही छोड़ जाता है और यदि हम अतिथि का सम्मान करेंगे तो हमारे पाप भी वह ले जाता है और हमारा पुण्य बढ़ा देता है। पुण्य वाणी बोलने से भी पाप कर्मों की निर्जरा में सहायता मिलती है। साध्वी डॉक्टर विजय सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि शुभ कर्म हमारे पुण्य का बढ़ाते हैं अशुभ कर्म हमारे पाप को बढ़ाते हैं इसलिए सदैव शुभ कर्म करना चाहिए।निकाचित कर्म का फल हमें भोगना ही पड़ता है। धर्म आराधना करने पुण्य कर्म बढ़ता है। अन्यत्र कर्म का प्रायश्चित स्थानक में कर सकते हैं लेकिन स्थानक में यदि पाप किया तो पुण्य कहां करेंगे आश्चर्य का विषय है।चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल तपस्या साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है।
इस अवसर पर प्रभा पितलिया व रविंद्र पप्पू बम के उपवास की तपस्या पूर्ण होने पर सभी ने सामूहिक अनुमोदना की। धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा.एवं साध्वी विजय श्री जी म. सा. का सानिध्य मिला।इस अवसर पर श्री अभिजीतमुनिजी म. सा., श्री अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया। इस अवसर पर श्री संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम्म, चातुर्मास समिति संयोजक बलवंत सिंह मेहता, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा ,साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला जैन आदि गणमान्य समाज जन उपस्थित थे। इंदौर रतलाम, जावद जीरन, चित्तौड़गढ़, छोटी सादड़ी निंबाहेड़ा जावरा नारायणगढ़, उदयपुर आदि क्षेत्र से समाज जन सहभागी बने और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन प्रवक्ता भंवरलाल देशलहरा ने किया।