नीमच। परमात्मा की आज्ञा पालन करने से मन पवित्र होता है और जीवन में आनंद की अनुभूति होती है ।परमात्मा की आज्ञा का पालन करने से परमात्मा से नजदीकी होती है और परमात्मा की नजदीकी हमें सत्य मार्ग की ओर आगे बढ़ाती है सत्य मार्ग पर आगे बढ़ने वाला सदैव सुखी रहता है। परमात्मा की आज्ञा का मन से पालन करना ही मोक्ष का प्रथम प्रवेश द्वार होता है।यह बातश्री जैन श्वेतांबर भीड़भंजन पार्श्वनाथ मंदिर ट्रस्ट श्री संघ नीमच के तत्वावधान में बंधू बेलडी पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्र सागरजी मसा के शिष्य रत्न नूतन आचार्य श्री प्रसन्नचंद्र सागरजी मसा ने कही। वे चातुर्मास के उपलक्ष्य में मिडिल स्कूल मैदान के समीप जैन भवन में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संसार का कारण अज्ञानता होती है ।अज्ञानता से आलस्य पाप बढ़ता है ।परमात्मा की वाणी एकाग्रता से ध्यान पूर्वक सुने तो समझ में आ सकती है। परमात्मा की वाणी समझने के बाद ही आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। परमात्मा उत्तम पुरुष है ।जगत के सभी जीवो के प्रति कल्याण की भावना रखते हैं ।परमात्मा की आज्ञा सभी के लिए कल्याणकारी होती है। परमात्मा सभी जीवो में कल्याण की कामना करते हैं। शासन परमात्मा मेरा है यह भावना आ जाए तो हमें भी कल्याण का मार्ग मिल सकता है जहां मेरा है वहां मन वचन की एकाग्रता हो जाती है। परमात्मा के पास जाएंगे तो भाव शुभ हो जाएंगे।आज्ञा पालन की इच्छा होगी। संसारी भोग विलास का त्याग किए बिना परमात्मा की भक्ति का आनंद नहीं मिल सकता है। सोने के गहनों का राग कम होना चाहिए तभी परमात्मा की भक्ति का राग मिल सकता है। दोष दोषी को ही लगना चाहिए निर्दोष को नहीं। पुण्य व्यक्ति को पुण्य मिले यह समयक दर्शन की निशानी है। परमात्मा से संसार के सुख मांगेंगे तो उसमें राग द्वेष क्रोध मान माया भी सम्मिलित रहेंगे। साधु संत 24 घंटे परमात्मा की आज्ञा का पालन करते हैं इसलिए सदैव आनंद का जीवन जीते हैं और वह सुखी रहते हैं मनुष्य संसार में रहते हुए परमात्मा की आज्ञा का पालन नहीं कर पाता इसलिए वह सदैव दुखी रहता है। परमात्मा की आज्ञा में बहुत ताकत है इसलिए साधु संत सदैव आनंद और सुख में रहते हैं।श्री संघ अध्यक्ष अनिल नागौरी ने बताया कि धर्मसभा में तपस्वी मुनिराज श्री पावनचंद्र सागरजी मसा एवं पूज्य साध्वीजी श्री चंद्रकला श्रीजी मसा की शिष्या श्री भद्रपूर्णा श्रीजी मसा आदि ठाणा 4 का भी चातुर्मासिक सानिध्य मिला।पूज्य आचार्य भगवंत का आचार्य पदवी के बाद प्रथम चातुर्मास नीमच में हो रहा है। उपवास, एकासना, बियासना, तेला, आदि तपस्या के ठाठ लग रहे है। धर्मसभा में जावद ,जीरन, मनासा, नयागांव, जमुनिया,जावी, आदि क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्त सहभागी बने। धर्मसभा का संचालन सचिव मनीष कोठारी ने किया।