नीमच/मंदसौर। हिंदू समाज के बड़े पर्व रक्षाबंधन के दिन नगर के एक मुस्लिम परिवार में भी वर्षों पुरानी परंपरा के तहत भाई-बहन का यह पावन रिश्ता बड़े उत्साह से निभाया जाता है। नगर के 80 वर्षीय बुजुर्ग सईद चौधरी जैसे ही रक्षाबंधन का पर्व नजदीक आता है, करीब 60 साल पुरानी यादों में खो जाते हैं। उनकी यादों का यह खास दिन इस बार भी 9 अगस्त को लौट रहा है।
सईद चौधरी बताते हैं कि लगभग छह दशक पहले, समीप के गाँव जग्गाखेड़ी में उनके खेत में पूनमचंद्र मीणा नामक हाली (खेती मजदूर) काम करता था। चौधरी साहब ने उसे पुत्र समान स्नेह दिया। चूँकि वह हिंदू मीणा समाज से था, इसलिए चौधरी साहब ने उसी समाज की रामी नामक युवती से उसका विवाह करवाया और स्वयं उसके ‘भाई’ बनकर सभी रस्में निभाईं। तभी से रामी और चौधरी परिवार के बीच राखी का यह रिश्ता जुड़ गया, जो आज भी अनवरत जारी है।
अब रामी मीणा भी उम्रदराज हो चुकी हैं, लेकिन रक्षाबंधन का पर्व चौधरी परिवार में उनके बिना अधूरा लगता है। परिवार के सभी सदस्य हर साल उनका बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। वे हर वर्ष आकर न केवल सईद चौधरी, बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को भी राखी बांधती हैं। रामी और उनका परिवार लंबे समय तक खानाबदोश जीवन जीता रहा, फिर भी राखी के दिन वे जहाँ भी होतीं, मंदसौर आकर यह पर्व चौधरी परिवार के साथ ही मनातीं। वर्तमान में वे मल्हारगढ़ में रहती हैं।
यह परंपरा न केवल सांप्रदायिक सद्भाव का अनुपम उदाहरण है, बल्कि 60 वर्षों से इसे निभाना अपने आप में एक अद्वितीय मिसाल भी है। सईद चौधरी से जब इस बारे में पूछा गया, तो वे भावुक हो गए और उनकी आँखों में 60 साल पुराने रक्षाबंधनों की यादें ताज़ा हो गईं। इस 9 अगस्त को भी रामी मीणा चौधरी परिवार में आएँगी और राखी बांधकर इस अनोखे रिश्ते की डोर को और मजबूत करेंगी।