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November 9, 2022, 8:24 pm
KHABAR : साध्वी श्री प्रशम निधि मसा ने कहा- चातुर्मास पाप कर्मों से बचकर जीव दया के साथ आत्म कल्याण के लिए धर्म आराधना का सशक्त माध्यम होता है, पढ़े खबर 

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नीमच। चातुर्मास पाप कर्मों से बचकर जीव दया के साथ आत्म कल्याण के लिए धर्म आराधना का सशक्त माध्यम होता है। राग से वितराग की ओर बढ़ने का सुलभ अवसर होता है।  चतुर्मास आत्मा से परमात्मा बनने का अवसर होता है। हम इस प्रकार आराधना करें कि एक दिन हम भगवान के समान बन जाए तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है।
यह बात साध्वी प्रगुणा श्रीजी मसा की शिष्या साध्वी प्रशम निधि मसा ने कही। वे  महावीर जिनालय विकास नगर श्री संघ के तत्वावधान में चातुर्मास   परिवर्तन के उपलक्ष में आयोजित विदाई धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि गुरु ही शिष्य को तरासता है और निखारता है। गुरु मां ने  मां से बढ़कर ज्यादा प्यार दिया है। जिस प्रकार व्यवहार भाषा जीवन से व्यक्ति की पहचान होती है उसी प्रकार मकान की पहचान कुशल इंजीनियर से होती है। संत की पहचान उनके संस्कार और गुणों से होती है जो गुरु के द्वारा उन्हें मिले होते हैं। संत श्रावक श्राविका के अपनेपन में बह नहीं जाए इसीलिए विहार करते हैं। संत नदी के समान रहते रहते हैं और तभी श्रावक श्राविकाओं का  मन निर्मल बनाते हैं। 
धर्म सभा में साध्वी प्रगुणा श्री जी महाराज साहब ने कहा कि चातुर्मास तभी सफल होता है जब मनुष्य अपने जीवन में बुराइयों को छोड़ अच्छाइयों का अपनाता है और आत्म कल्याण के मार्ग पर आगे बढ़ता है।धर्म सभा में साध्वी प्रमोदिता निधि जी महाराज साहब ने कहा कि संतवाणी को भूलना नहीं चाहिए ।समता भाव को जीवन में उतारना  चाहिए। समता बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है।धर्म सभा में साध्वी सत्कार निधि जी ने कहा कि विकासनगर क्षेत्र वासियों ने इतना प्यार और स्नेह दिया कि मेरे पास शब्द नहीं है ।मैं नि:शब्द हूं। चातुर्मास सीखने और सिखाने का अवसर होता है। चातुर्मास तभी सफल कहलाता है। जब कई लोग चातुर्मास के उपदेशों को जीवन में आत्मसात कर अपने जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाते हैं।
महावीर जिनालय संरक्षक प्रेम प्रकाश जैन ने कहा कि तत्वज्ञान से आत्मज्ञान साध्वी मसा ने आत्मा से परमात्मा बनने का मार्ग दिखाया है। यह जीवन में परिवर्तन लाएगा। चातुर्मास के ऐतिहासिक और क्रांतिकारी परिवर्तन भी सामने आएंगे। महावीर जिनालय अध्यक्ष राकेश आचलिया ने कहा कि श्री संघ पदाधिकारियों की टीम भावना से ही चातुर्मास ऐतिहासिक और क्रांतिकारी सफल हुआ। मनोहर सिंह लोढ़ा ने कहा कि साध्वी महाराज साहब के प्रवचन से जीवन की कमियों में परिवर्तन आएगा। 

नेमीचंद जैन ने कहा कि संयम जीवन आत्मसात कर आत्म कल्याण का स्वरूप को समझाया। राग द्वेष को त्याग कर मोक्ष पाना सिखाया। सुश्री सुचिता चौहान ने कहा कि सभी महाराज सरल स्वभाव स्वभावी है गुरुवरया जा रहे हो तुम आंखों के आंसू आ रहे हैं रोते हुए चेहरे आपसे कहते हैं हमारा हाथ हमारा कौन थामेगा अंधेरे से हमें कौन निकालेगा। आशीष सुराना ने कहा कि गुरु के गुण बताना कठिन होता है आंखें भर आई है। 

अभिलाषा छाजेड़ ने कहा कि हम दूर नहीं है तुमसे तुम दूर कहो ना नहीं हमसे गीतमहावीर महिला मंडल ने छोटा सा परिवार गलती हो तो क्षमा करना हम सभी को छोड़ कर जाओ ना गुरु मैया गीत प्रस्तुत किया।सुरेंद्र लोढ़ा ने कहा कि संत प्रेरणा देते रहेंगे और हम आगे बढ़ते रहेंगे।राहुल जैन ने तेरा उपकार बदला चुकाया जा नहीं सकता ज्ञान ऐसा दिया कि भुलाया नहीं जा सकता गीत प्रस्तुत किया। 

राजमल छाजेड़ ने कहा कि क्रोध पर नियंत्रण कैसे पाएं गुरुवरया ने हमें बताया उन्होंने हमें सुख हो या दुख हो ऐसा बोलो या अनुकूल समभाव मैं रहना सिखाया है। वीरेंद्र  लोढ़ा ने कैसा होता है कड़वा विदाई का क्षण सुनकर भर जाते हैं हम सबके नयन गीत प्रस्तुत किया। रेखा सोनी ने हमारी गुरुवरया ऐसी है वैराग्य जीवन सिखाया है। हितेष नागोरी ने यह विदाई समारोह हृदय भर आता है भूल न जाना याद रखना गुरु ने फिर से आना याद हमें आएगी  आपने हमको तारा है गीत प्रस्तुत किया रानू खुशबू मोगरा ने व्यावहारिक ज्ञान स्वाध्याय रूपी गंगा मनोरंजन छोड़ आत्मा रंजन की ओर बढ़े गीत प्रस्तुत किया। 
प्रियंका जैन ने स्तवन प्रस्तुत किया।अंगुर बाला  नागौरी ने आज विदाई की बेला आई है क्या भर आई है प्राणों से प्यारी गुरुवरया को देनी है आज विदाई है गीत प्रस्तुत किया। नीतू जैन  जा रहे हो विनती गुरुवर विनती यह सुनते जाना गीत प्रस्तुत किया।

सुशील पगारिया ने कहा कि जैसा व्यवहार हम अपने साथ चाहते हैं वैसा ही व्यवहार हम दूसरों के साथ करे तो हमारा जीवन सफल हो सकता है। किरण सुराना ने कहा कि गुरुणीमसा ने हमें मिट्टी से चंदन बना दिया है। प्रशस्ति कोठारी ने कहां की शिविर में धर्म तत्वज्ञान को विस्तार से जानने का अवसर मिला जो जीवन को बदलने वाला है। धीरज कुमावत ने कहा कि जीवात्मा चेतना राजा गम जीवन जीना सिखाता है सीखने को मिला। 
नरेंद्र जैन ने कहा कि दिल अभी भरा नहीं है। श्रीमती वंदना आचलिया ने शान से रहेंगे आपके दिलों को जिंदा रहेंगे। चंदन है मुक्ति नहीं मुक्त होना है मोक्ष से जाना है मार्मिक गीत प्रस्तुत किया। श्रीमती मनोरमा डागरिया ने प्राणों से प्यारे गुरुवर हो देनी है आज विदाई और उदासी छाई। गीत प्रस्तुत किया राजेश मानव ने कहा कि सभी साध्वी में गुरुर्वयाघ् का चेहरा दिखता है। गुरु के मार्गदर्शन बिना आत्मा कल्याण नहीं होता है।
धर्म सभा में साध्वी प्रगुणाश्रीजी, प्रमोदिता श्रीजी  ,प्रशम निधि ,संस्कार निधि म .सा. का मार्ग दर्शन भी मिला। 
इस अवसर पर ट्रस्ट अध्यक्ष राकेश आंचलिया का सम्मान संजय कोठारी परिवार द्वारा किया गया। साध्वी वरिया की वया वृच्छ गुरु सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए ट्रस्ट पदाधिकारियों द्वारा प्रकाश रावत का पगड़ी मोती माला पहना कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का रचनात्मक एवं साहित्यिक संचालन राहुल जैन ने किया तथा आभार सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने व्यक्त किया।

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