चित्तौड़गढ़। मानस मर्मज्ञ कथा व्यास राष्ट्रीय संत हरे कृष्ण राकेश पुरोहित ने कहा कि रामचरित्र मानस में भाई भरत का चरित्र राम से भी कही अधिक विशिष्टतर है, जिनके भ्रातृत्व प्रेम को अंगीकार कर जीवन को सवारा जा सकता है। कथा व्यास पुरोहित गुरूवार रात्रि को मीठा राम जी का खेड़ा में मोहनलाल कमलाबाई शर्मा चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से नगर में पहली बार आयोजित तीन दिवसीय प्रभु प्रेेम कथा के रूप में भरत चरित्र के प्रथम दिन मार्मिक वर्णन कर रहे थे। उन्होंने भरत जी की महिला का बखान करते हुए कहा कि उनकोे केवल रामजी के चरणों का ही ध्यान रहता था, इसीलिये महाज्ञानी राज जनक ने कहा कि भरत स्वंय अपनी महिला नहीं जान पाये, लेकिन भरत के हृदय रूपी सागर में केवल राम रूपी प्रेम तत्व को विरह रूपी मंद्राचल से मथा गया। यदि यह उनकी लीला नहीं होती तो वे भ्रातृत्व प्रेम से वंचित रह जाते।
उन्होंने कहा कि भरत कथा भावभंदन विमोचिनी है, जिसमें अवगत कराया गया है कि कथा का हेतु अर्थ, धर्म, काम, रूचि और निर्वाण की गति ना होकर जनम-जनम तक राम के प्रति रति का वरदान प्राप्त करने की है। पुरोहित ने कहा कि व्यक्ति को भीतर से अभिमान को त्याग कर सर्वस्व भगवान के प्रति आश्वस्त होना चाहिए। जब सभी में अपने ईष्ट का दर्शन हो और ईष्ट में सब कुछ दिखाई दे वही भजन व भक्ति सार्थक है। उन्होंने बताया कि मानस में भरत का चरित्र का आगमन जनकराज की पाति से मिलता है, जब विजय की पाति अवध पहुचती है तो भरत जानना चाहते है कि रामजी कुशल तो है। पुरोहित ने कहा कि बिना दृढ विश्वास के भक्ति संभव नही है, क्योंकि चारो वेद व चारो शास्त्र भी यही कहते है कि दुःख जिये दुःख होत है, सुख जिये सुख होय। पुरोहित व्यास का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा कि व्यास यानि भक्ति के भाव को खोलना तथा संसार को जोड़ना होता है।
इसीलिये भरत रूपी चरित्र के बीज प्रस्फुटित होने पर जीवन में भरत जैसी श्रृद्धा संभव है। कथा व्यास ने कहा कि राम वनवास के समय भरत अपने ननिहाल कैकयी प्रदेश मंे थे, जहां से अयोध्या आगमन पर एक ओर भगवान राम का विछोह और दूसरी ओर पिता का सुरलोक गमन उनके लिये असहनीय पीड़ा का पर्याय बन गया। पुरोहित ने बताया कि भरत प्रेम की भावना को अंगीकार कर आनंदानुभूति करें। परम हितेशी कान्हा व राघवेंद्र सरकार तथा राधेरानी व सीता जी एक ही है। भरत भैया के प्रेम से ही उनकी रस बूंदो से गोपिया बनीं, इसलिये भक्त को कभी हताश व निराश नहीं होना चाहिए। प्रारम्भ मंे आयोजक परिवार की ओर से व्यासपीठ का वैदिक मंत्रोचार के साथ प. दिनेश तिवारी एंव परिजनांे द्वारा पुजन कर कथा व्यास का आत्मीक स्वागत किया गया।
सुखमणि साहिब का पाठ
इस अवसर कथा मंडप में शुक्रवार को स्थानीय गुरूद्वारा के ज्ञानी करनेल सिंह के सानिध्य में सिक्ख व सिंधी समाज के साथ ही अन्य श्रृद्धालुओं ने सुखमणि साहिब के पाठ का आनंद लिया। वही संगत द्वारा शबद किर्तन व अरदास कर सर्वत्र खुशहाली की कामना की गई। पाठ समाप्ति के बाद श्रृद्धालुआंे को कणहा प्रसाद का वितरण किया गया।