मन्दसौर। जिला न्यायालय में आज राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन हुआ। लेकिन अभिभाषकों ने काम से विरत रहते हुए लोक अदालत से दूरी बनाई। सुरक्षा की दृष्टि से कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। लोक अदालत में आए लोग होते रहे परेशान। कल घटना पर आज लोक अदालत का बहिष्कार करते हुए वकीलों ने लगाए नारे तानाशाही नहीं चलेगी।
मुकेश रत्नवत एडवोकेट ने बताया कि जिला न्यायाधीश द्वारा कल एक वकील की कोर्ट परिसर में चद्दर की शेड को तानाशाह पूर्ण से हटाया गया और आज हिंदुस्तान फिर से गुलाम हो गया। ऐसा दुर्ववहार जिला न्यायाधीश द्वारा मंदसौर के वकीलों के साथ किया जा रहा है। अभिभाषक ने बताया कि जब अंग्रेजों का शासन था तब अंग्रेजों की घोड़ी को भी छाव में बांध दिया जाता था और आम जनता धूप में खड़े होकर जयकार लगाते थे उसी प्रकार आज मंदसौर के न्यायाधीश ऐसी वाले चेंबर में बैठते हैं और उनकी गाड़ी चद्दर से बने शेड में खड़ी होती है और अभिभाषक एक टेबल पर बैठकर सेवा दे रहा अपना और अपने परिवार का गुजर बसर कर रहा हैं उसको न्यायाधीश द्वारा हटाया जा रहा हैं। वकील ने उदाहरण दिया की भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी आई थी फूट डालो और शासन करो की नीति अपनाई थी, उसी तरह न्यायाधीश तानाशाही करना चाह रहे हैं जो की बहुत अनुचित है। हिंदुस्तान में ना तो व्यापार हैं और ना ही रोजगार हैं और अभिभाषक वकील बनकर सेवा देना चाहता है उसको सेवा के लिए टेबल भी नहीं दी जा रही हैं।
न्यायाधीश का कहना है कि यहां कोई नया जूनियर अभिभाषक आए तो उसको में टेबल पूरे न्यायालय परिसर में कहीं नहीं लगाने दूंगा। वह अपने घर से प्रैक्टिस करें। वकील ने बताया कि अगर उसको अभिभाषक नहीं बनने देंगे तो नक्सली बनाओगे क्या। न्यायाधीश महोदय आपकी सोच किस दिशा में ले जा रही है कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आज पूरे हिंदुस्तान की जनता हम सब न्याय की उम्मीद रखते हैं न्यायाधीश से बड़ा कोई नही है अगर वो ही इस प्रकार विचार रखते हैं तो ये बहुत ही अनुचित हो रहा हैं। अभिभाषकों का आजादी के समय भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आज भी फिर अभिभाषक अपने सम्मान की लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरे हैं। किसी व्यक्ति विशेष की लड़ाई नहीं है और सभी जूनियर अभिभाषकों को न्याय दिलाने के लिए सभी अभिभाषक हड़ताल पर बैठे हैं और लोक अदालत का भी बहिष्कार किया है। कोई भी अभिभाषक लोक अदालत के समर्थन में नहीं है।