नीमच। शहर के बंगला व बगीचा क्षेत्रों में निवासरत नागरिक गत 42 सालों से मूलभूत सुविधाओं सहित अन्य व्यवस्थाओं को तरस रहे हैं। इन क्षेत्रों में निवासरत नागरिकों का कहना है कि वर्ष 2017 में शिवराज सरकार ने समस्या का निराकरण किया। व्यवस्थान बोर्ड का गठन किया। लेकिन समाधान के लिए पारित मसौदे में कई तरह की भ्रांतियां है। नियमों की जटिलता में नागरिक उलझ रहे हैं। समस्या के समाधान के बाद भी नागरिकों को राहत नहीं मिली है। आज भी बंगला-बगीचा क्षेत्रों में विकास नहीं हो पाया है। कई बड़े भूखंड खाली पड़े हैं। इनमें गाजर घास व कंटीली झाड़िया उग आई है। खाली प्लॉटों में लोग कचरा फेंक रहे हैं। यह पूरी स्थिति मकान निर्माण की अनुमति नहीं मिलने से बन रही है। सरकार को पारित मसौदे में बदलाव कर जनता को राहत देनी चाहिए। समस्या का समाधान जनता के हित में करना चाहिए।
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नगर पालिका के जनप्रतिनिधि भूले अपना चुनावी वादा-
नगरीय निकाय चुनाव के पूर्व नगर पालिका में काबिज भाजपा के बोर्ड ने शहर की जनता को बंगला-बगीचा समस्या के जटिल नियमों में संशोधन करवाकर राहत देने का वादा किया था। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी यह वादा महज चुनावी वादा बनकर रह गया है। चुनाव निपटते ही जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या की तरफ मुड़कर देखना तक मुनासिब नहीं समझा।
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बंगला-बगीचा क्षेत्र में निवासरतों की पीड़ा-
‘शहर के बंगला-बगीचा क्षेत्रों में करीब 50 हजार से अधिक नागरिक निवास करते हैं। यह सभी नागरिक चाहते हैं कि इस समस्या का स्थाई समाधान हो। सरकार द्वारा 2017 में बनाए गए व्यवस्थापन के जटिल नियमों में बदलाव हो। व्यवस्थापन बोर्ड द्वारा भी नागरिकों से कई तरह के दस्तावेजों की मांग की जाती है। हमारी यह जमीन पूर्वजों ने खरीदी है। हम चाहते हैं कि इस पर हमें मालिकाना हक मिले। हमारे पास रजिस्ट्री भी है। सालों से नगर पालिका को सभी तरह का टैक्स दे रहे हैं।- राजेंद्र बागड़ी, बंगलावासी
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‘बंगला-बगीचा क्षेत्रों में निवासरत लोग स्वयं की भूमि पर अधिकार को लेकर कई सालों से संघर्ष कर रहे हैं। सरकार द्वारा बनाए गए व्यवस्थापन बोर्ड तक 4 सालों की अवधि में सिर्फ 2 हजार आवेदन ही पहुंचे हैं। इनमें से भी कई आवेदकों को अब तक व्यवस्थापन का इंतजार है। सरकार के जटिल नियमों के चलते नागरिक इस समाधान को ही समस्या मान बैठे हैं। प्रदेश की शिवराज सरकार को पुनः समस्या पर विचार कर जनता के हित में नियम बनाने चाहिए। कई क्षेत्रों में नागरिकों तक मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंचती है।- योगेश कुमार, बंगलावासी