चीताखेड़ा। मात्र खेती कर आजीविका चलाने वाले किसान जहां नीलगाय और जंगली सूअरों से परेशान हैं वही उनकी समस्या अब आवारा पशुओं ने बढ़ा दी है। जहां पशुपालक जब तक गाय दूध देती है तब तक उसे पालते हैं और दूध देना बंद कर दे तो गौशाला में अपने पशु छोड़ने आ जाते हैं। गौशाला का शुल्क ना लगे इसलिए वह गौशाला के आसपास अपने पशुओं को छोड़ देते हैं। जिसका खामियाजा बेचारे किसानों को भुगतना पड़ता है। फसल उगने से लेकर कटने तक किसानों की रातों की नींद व दिन का चैन छीनता जा रहा है।
किसान दिनेश मंडावरा ने बताया है कि मेरे छोटे-छोटे तीन चार खेत हैं जिसकी सिंचाई हेतु घर के किसी एक सदस्य को भेजना पड़ता है तो वही एक सदस्य को आवारा पशुओं की निगरानी के लिए भेजना पड़ता है। किसान ने मांग की है कि आवारा पशुओं का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाए वहीं किसान सत्यनारायण माली ने बताया है कि मेरी फसल जो अभी जमीन से निकली ही थी कि आवारा पशुओं ने चट कर दी। आवारा पशुओं के कान पर लगे टैग से इनके मालिकों का पता कर उन पर दंडात्मक कार्यवाई की जानी चाहिए।