नीमच। पुरातन काल से चली आ रही भारतीय संस्कृति की कई प्रथाएं तो समय के साथ विलुप्त होती गई लेकिन कई प्रथाएं ऐसी है जो आज भी इस भौतिक युग में जीवित है। इन्हीं प्रथाओं में से एक बहरूपिया प्रथा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में जीवित है तथा यह कलाकार बहरूपिया बंद करके गांव-गांव घर-घर घूमते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं तथा इसी के सहारे इनकी आजीविका अभी चलती हैं।
ठंड के मौसम में ऐसे ही बहरूपिया कलाकार जोकि 2 से 3 वर्ष में इस क्षेत्र में भ्रमण करते हैं तथा गांव गांव तथा घर घर जाक अपनी कला को दिखाकर अपनी जीविका उपार्जन के लिए पैसा इकट्ठा करते हैं।
इन्हीं में से एक बहरूपिया कलाकार ने बताया कि यह हमारी पुरानी पारंपरिक पता है तथा हमारे पूर्वजों किस प्रथा को आज भी हमने कायम रखा है यह लोग उज्जैन से निकल कर के पैदल पैदल ही एक गांव से दूसरे गांव एक घर से दूसरे घर जाकर के अपनी आजीविका चलाते हैं तथा साथ ही साथ मनोरंजन भी करते हैं यह अलग-अलग भेष में पुलिस तथा घोड़े के रूप में अपनी कला को प्रदर्शित करते हैं। आज के इस युग में भी इस प्रकार से इन युवाओं के द्वारा जो इस प्रथा को कायम रख रखा है वह काबिले तारीफ है।