खरगोन। परंपरा, संस्कृति और कृषि कार्य में बैलों के महत्व को सम्मान देने का पोला पर्व शहर सहित समूचे अंचल में उत्सवी माहौल के बीच मनाया गया। किसानों और पशुपालकों में पर्व को लेकर खासा उत्साह नजर आया। भादौ मास की अमावस्या को पोला अमावस्या के रुप में मनाया गया। पशुपालकों और किसानों ने अपने-अपने बैलों का विशेष श्रृंगार पूजा-अर्चना की। इसके बाद शाम के समय चल समारोह निकाला गया।
पशुपालक किसानों ने बताया कि यह पर्व विशेष रूप से बैलों के खेती. किसानी में महत्व उनके आभार स्वरुप मनाया जाता है। क्योंकि यह बैल कृषि कार्य में सहायक होते है। किसान इस दिन बैल की पूजा करते हैं और उनका श्रृंगार कर विशेष भोजन प्रदान करते हैं।
पोला पर्व का नाम बैलों के गले में डाले जाने वाले लकड़ी के औजार पोला से पड़ा है। परंपरा है कि सींगों को रंग.बिरंगे रंगों से सजाया जाता है और गले में घंटियां, पायल व झुनझुने बांधे जाते हैं। पूजा के उपरांत बैलों को दौड़ाया जाता है, जिसे पोला दौड़ कहा जाता है। शाम के समय शहर के पहाड़सिंगपुरा, टवड़ी चौक, माली मोहल्ला क्षेत्र में ढोल-तांशो के बीच श्रृंगारित बैलों का भव्य जुलूस निकालने के पूर्व कलश चौक में तोरण बांधा गया और बैलों पर खड़े होकर तोरण तोडऩे की परंपरा निभाई गई।