चित्तौड़गढ़। पर्यूषण पर्व के चौथे दिन संथारा विशेषज्ञ ,लोह पुरुष,स्पष्ट वक्ता ,छोटे जैन दिवाकर धर्म मुनि म सा ने रविवार को श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय साधना संस्थान भवन चित्तौड़गढ़ में आयोजित धर्मसभा में अपने प्रवचन में कहा कि संसार में हंसी हो ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए। संसार में परिवार का नाम ऊंचा हो ऐसा काम करना चाहिए। खानपान में ऐसी चीजों का प्रयोग करना चाहिए जिससे शरीर का निर्माण ठोस हो।
उन्होंने कहा कि कर्म पलटे तो जगत बदल जाता है। उन्होंने वीर हनुमान की माता अंजना का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं से कहा कि शरीर निरोग रहेगा तो सब कार्य सुगम होंगे और अच्छे काम करोगे तो तुम्हारा कल्याण होगा। उन्होंने आव्हान किया कि दीपावली, महावीर जयंती, और संवत्सरी पर्व पर उपवास अवश्य करना चाहिए। धर्मसभा में केशव विजय मुनि म सा ने शक्ति का प्रेम अथवा प्रेम की शक्ति का विस्तृत विवेचन सुनाते हुए कहा कि मिसाइल परमाणु बम आदि का निर्माण शक्ति का प्रेम है और यह शक्ति विनाशकारी है। हम अपना व्यवसाय बढ़ा रहे हैं पैसे की वृद्धि के लिए ,यह यह भी शक्ति का प्रेम है। प्रेम की शक्ति सार्थकता देती है वही शक्ति का प्रेम सफलता दिला सकता है पर सार्थकता कभी नहीं। शक्ति का प्रेम गुडविल बना सकता है वहीं प्रेम की शक्ति आनंद और सुकून की अनुभूति कराती है।
मुनि केशव विजय ने कहा कि शरण के पीछे भय है और भय के पीछे भक्ति नहीं हो सकती है। समर्पण में भय नहीं प्रेम है । उन्होंने स्मरण को अगली कड़ी बताते हुए कहा कि फ्री टाइम में ध्यान आना सबसे बड़ी ताकत है। स्मरण की ताकत पाप से बचा सकती है। आचरण में जमकर पसीना निकलेगा। सुख पाने के लिए पाप के मार्ग पर कभी नहीं चलना चाहिए। जो अनीति है वही दुर्गति है और जो नीति है वह सद्गति है ।नीति से कमाने पर तीन फायदे हैं, शांति बनी रहती है, समाधि बनी रहती है और मौत के बाद की गति भी। प्रेम की शक्ति के सामने जहर भी असर नहीं करता। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एक रचना को उद्धृत करते हुए कहा कि हर आदमी शिखर पर जाना चाहता है पर शिखर पर जाने की वेदना अलग ही होती है जहां व्यक्ति स्वयं को अकेले खड़ा देखता है। व्यक्ति को पता होना चाहिए कि उसकी मर्यादा क्या है। जो भी अपनी मर्यादा से बाहर जाएगा वह दुख ही पाएगा। बौद्धिक मर्यादा से अहंकार खत्म हो जाएगा और नम्रता आ जाएगी। किसी व्यक्ति से ज्यादा घनिष्ठता से जुड़ने पर भावनात्मक मर्यादा समाप्त हो जाती है। भावनात्मक मर्यादा हमें थकान से बचा लेती है। भौतिक मर्यादा की पालना करें और कभी भी अपना आकलन सामने वाले की स्थिति से ना करते हुए ऐसी वस्तुएं लानी चाहिए जो बहुत जरूरी हो। उन्होंने कहा कि भोजन की मर्यादा रखने पर जीवन में स्वच्छता आती है।
मीडिया प्रभारी सुधीर जैन ने विज्ञप्ति में बताया कि धर्म सभा के प्रारंभ में साध्वी रत्नश्री म सा ने अंतगड़ दसांग सूत्र के नौंवे अध्ययन का वाचन करते हुए अरिष्ट नेमी प्रभु के द्वारिका नगर में प्रवेश और जंबूस्वामी,आर्य सुधर्मा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने पांचवें वर्ग में महारानियों के गुणगान का श्रवण कराया और बताया कि भगवान महावीर के काल में चौदह हजार साधु साध्वी थे और द्वारिका नगरी देवों द्वारा बनाई गई थी। उन्होंने कहा कि जितने भी परमाणु हैं वह नाशवान हैं।
धर्म सभा का संचालन श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान चितौड़गढ़ के अध्यक्ष किरण डांगी ने किया।धर्मसभा के बाद श्रावक श्राविकाओं ने गुरूवंदना की और धर्म मुनि म सा ने मांगलिक श्रवण कराया। श्रमण संघ के महामंत्री राजेश सेठिया ने जानकारी दी कि पर्यूषण पर्व के चौथे दिन सामूहिक तेला तप का पारणा श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संस्थान चितौड़गढ़ द्वारा श्री नानू नवकार भवन में संपन्न हुआ जहां 300 तपस्वियों ने तीन दिन के उपवास के बाद सामूहिक पारणा किया।प्रवचन के पश्चात श्री अंबेश गुरु सेवा समिति द्वारा प्रभावना वितरित की गई ।