नीमच। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो इन दिनों काश्तकारों की अफीम का तोल कर रहा है। नीमच, मंदसौर, रतलाम के बाद अब चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा व यूपी के बाराबंकी के किसानों की अफीम का तोल किया जा रहा है। विभाग इस तोल के बाद अफीम की गाढ़ता का रिजल्ट भी वेबसाइट पर प्रतिदिन अपडेट कर रहा है। वहीं सीपीएस पद्धति के किसानों के डोडों का तोल भी केंद्रों पर किया जा रहा है।
नीमच में 1 अप्रैल से काश्तकारों की अफीम का कनावटी रोड के नवनिर्मित मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित होटल आम्रपाली रिसोर्ट में तोल किया गया। इस वर्ष अफीम एवं क्षारोद कारखाना ने किसानों की अफीम की गाढ़ता परीक्षण का परिणाम स्पष्ट करने के लिए नई तकनीक अपनाई है। इस तकनीक से किसान भी स्वयं अपनी अफीम की गाढ़ता की स्थिति का पता कर सकते हैं।
आंकडों पर किसानों की प्रतिक्रया-
एमपी व राजस्थान के साथ यूपी के अफीम काश्तकारों ने अफीम की गाढ़ता के प्रतिशत का तत्काल मिल रहा रिजल्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। किसानों का कहना है इस नई व्यवस्था से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। गाढ़ता का रिजल्ट ऑनलाइन अपडेट किए जाने से वे अधिकारी भी चौंक गए हैं जो किसानों को लुटने का काम करते थे। आंकड़ा सामने आने के बाद समूची स्थिति स्वतः ही स्पष्ट हो रही है।
11 मई को किए तोल का रिजल्ट जारी-
अफीम फैक्टरी के जीएम नरेश बुन्देल ने बताया कि वर्तमान में अफीम की सैम्पलिंग का काम चल रहा है। जैसे-जैसे परिणाम आ रहे हैं उन्हें विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है। काश्तकार स्वयं भी अपनी अफीम की स्थिति को वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं। भीलवाड़ा व चित्तौड़ में 11 मई को किए गए 700 किसानों की अफीम के परीक्षण का रिजल्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।
कारखाना के जीएम नरेश बुन्देल ने बताया कि पिछले साल की तरह इस साल भी ओपियम कंटेनर ट्रेकिंग एप्लिकेशन यानी ओसीटीए का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें अफीम किसान का कंटेनर जब फैक्ट्री में आता है तो किसी को पता नहीं चलता की इस कंटेनर में किस किसान की अफीम है। यह सॉफ्टवेयर क्यूआर कोड और ब्लॉक चेन आधारित बनाया गया है जो समूची प्रणाली को पूरी तरह से गोपनीय एवं पारदर्शी बनाता है।
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