नीमच। संसार में व्यक्ति सुख प्राप्ति के लिए दिन-रात परिश्रम संघर्ष कर धन संपत्ति वैभव सब कुछ प्राप्त करता है लेकिन सच्चे मन की शांति का सुख प्राप्त नहीं कर पाता है जिस व्यक्ति के पास कुछ नहीं होता है उसके पास आत्मशांति होती है। यदि मनुष्य के पास गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और तो राख भी लाख बन सकता है और सच्ची श्रद्धा नहीं हो तो लाख भी राख बन सकती है इसलिए सदैव गुरु का आदर करना चाहिए तभी जीवन का कल्याण हो सकता है। जिस प्रकार माता पिता की सेवा हम समर्पण भाव से करते हैं यदि उसी प्रकार हम संतों की सेवा करें तोआत्मा का सच्चा सुख प्राप्त कर सकता है।
यह बात जैन दिवाकरीय श्रमण संघीय, पूज्य प्रवर्तक, आगम मनस्वी साहित्य भूषण कविरत्न श्री विजयमुनिजी म. सा. ने कही। वे श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ के तत्वावधान में गांधी वाटिका के सामने जैन दिवाकर भवन में आयोजित चातुर्मास धर्म सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में यदि सच्ची शांति प्राप्त करनी हो तो धर्म आराधना की साधना करें तपस्या करें और मन की भावना और विचार पवित्र रखें।
अच्छे कर्म करेंगे तो पुण्य का संग्रह होता है बुरे कर्म करेंगे तो पाप का संग्रह होता है। अच्छे कर्म करेंगे तो पुण्य का फल मिलेगा बुरे कर्म करेंगे तो पाप के फल की सजा मिलेगी। दुख का समय किसी को अच्छा नहीं लगता है। यदि हम सुख के समय सत्संग भक्ति और प्रभु नाम स्मरण करें तो हमारे जीवन में कभी दुख आएगा ही नहीं। संत का जीवन निस्वार्थ भाव के साथ होता है।
साध्वी डॉ विजय सुमन श्री जी महाराज साहब ने कहा कि जिस प्रकार विद्युत का तार हीटर के माध्यम से धारा प्रवाह करता है तो पानी को गर्म करता है और फ्रिज के माध्यम से धाराप्रवाह करता है तो पानी को ठंडा करता है अब हम तय करेगी हमें जीवन में ठंडा बनना है या गरम। हम सदैव क्रोध का त्याग करें और विनम्रता को जीवन में आत्मसात करें तो हमारे जीवन का कल्याण हो सकता है। धन संपत्ति हीरे जवाहरात यह सब द्रव्य संपत्ति है सच्ची संपत्ति जीव दया अहिंसा तपस्या साधना सभी प्राणियों के सुखी जीवन की कामना होती है। प्रवचन धर्म सभा में मनमोहन जैन सवाई माधोपुर अतिथि के रूप में उपस्थित थे। चातुर्मास के उपलक्ष में प्रतिदिन सुबह 6 बजे धार्मिक प्रार्थना की जा रही है जिसमें सभी समाज जन उत्साह के साथ सहभागी बन रहे हैं।
चतुर्विद संघ की उपस्थिति में चतुर्मास काल में एकासना,सामयिक, बेला ,तेला,एकासना उपवास आयम्बिल आदि की तपस्या एवं साधना निरंतर प्रवाहित हो रही है। इस अवसर पर उपस्थित जनों द्वारा तपस्या की अनुमोदना की गई।धर्म सभा में उपप्रवर्तक श्री चन्द्रेशमुनिजी म. सा.एवं साध्वी विजय श्री जी म. सा. का सानिध्य मिला।इस अवसर पर श्री अभिजीतमुनिजी म. सा., श्री अरिहंतमुनिजी म. सा., ठाणा 4 व अरिहंत आराधिका तपस्विनी श्री विजया श्रीजी म. सा. आदि ठाणा का सानिध्य मिला। चातुर्मासिक मंगल धर्मसभा में सैकड़ों समाज जनों ने बड़ी संख्या में उत्साह के साथ भाग लिया।
इस अवसर पर श्री संघ अध्यक्ष अजीत कुमार बम्म, चातुर्मास समिति संयोजक बलवंत सिंह मेहता, सागरमल सहलोत, मनोहर शम्भु बम्म, सुनील लाला बम्ब, निर्मल पितलिया, सुरेंद्र बम्म, वर्धमान स्थानकवासी नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय डांगी, दिवाकर महिला मंडल अध्यक्ष रानी राणा ,साधना बहू मंडल अध्यक्ष चंदनबाला जैन आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे। इंदौर रतलाम, जावद जीरन, चित्तौड़गढ़, छोटी सादड़ी निंबाहेड़ा जावरा नारायणगढ़, उदयपुर आदि क्षेत्र से समाज जन सहभागी बने और संत दर्शन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। धर्म सभा का संचालन प्रवक्ता भंवरलाल देशलहरा ने किया।