शाजापुर। पशुपालन एवं डेयरी विभाग उप संचालक एसके श्रीवास्तव द्वारा ग्रीष्म काल में पशुपालकों को सलाह देते हुए बताया कि भीषण गर्मी से मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी सभी जीव जन्तु बेहाल है। उन्होंने बचाव के लिए पशु पालकों को सुझाव दिया है कि मई-जून के माह में तेज गर्मी का प्रकोप रहता है।
उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव को देखते हुए तेज गर्मी से पशुओं को बचाव के लिए पशुपालकों के लिए सलाह दी है कि इसमें दुधारू पशुओं की दूध देने की क्षमता, भोजन की मात्रा एवं व्यवहार में बदलाव होता है। जब भी आपका पालतु पशु बाहर हो तो सुनिश्चित करें कि उन्हें गर्मी धूप से सुरक्षा मिलें एवं भरपूर ताजा ठण्डा पानी मिलें। लू से बचाव के लिए शेड का निर्माण किया जाए तथा उसमें पखें व कूलर की व्यवस्था हो। पशुओं को स्वच्छ, ठण्डे जल की उपलब्धता एवं ठण्डे पानी से शरीर पर छिडकाव करें। चराने के लिए जल्दी सुबह एवं शाम में निकाले। छोटे पशु-पक्षियों के लिए मिट्टी के बर्तनों में छायादार जगह पर पानी भरकर रखें। सामाजिक जागरूकता फेलायें जिससे पशु अत्यधिक गर्मी से बच सके। लू लगने के लक्षण दिखे जैसे तेज बुखार, बैचेनी, आहार में अनुरूचि, लाल आंखें होना, जोर-जोर से हांफना तुरन्त पशु चिकित्सक की सलाह लें।