नीमच। शहर की बंगला-बगीचा समस्या के समाधान के लिए बनाए गए व्यवस्थापन बोर्ड के जटिल नियमों में जनता उलझ रही है। नियमों में उलझी जनता ने सरकार से इन नियमों में बदलाव की मांग की है। साथ ही गरीब जनता पर थोपे गए टैक्स में भी राहत देने के लिए आवाज उठाई है।
नागरिकों का कहना है कि जो व्यवस्थापन अधिनियम बनाया गया है उसमें कई विसंगतियां व खामियां है। इसी के चलते अब तक व्यवस्थापन बोर्ड तक महज 1 हजार 970 आवेदन ही पहुंचे हैं। जबकि इस बोर्ड के माध्यम से कुल 16 हजार आवेदकों की समस्या का निराकरण होना था। नागरिकों ने 2017 में पारित इस मसौदे पर पुनः विचार कर जनता को राहत देने की मांग की है।
अधिकारियों-कर्मचारियों ने उलझाया समाधान-
जनता का कहना है कि अधिकारियों-कर्मचारियों ने अपने हितों के लिए समाधान को आज तक उलझा रखा है। बंगला-बगीचा क्षेत्रों में निवासरत लोगों को सरकार ने किरायेदार बनाने की तैयारी की है। यह समस्या का उचित समाधान नहीं है। इस व्यवस्थापन की प्रक्रिया में बदलाव होना चाहिए। नपा की प्रस्तावित बैठक में इस मुद्दें को प्राथमिकता से रख निराकरण करना चाहिए।
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बंगला-बगीचा क्षेत्र में निवासरत लोगों की पीड़ा-
‘नगर पालिका बंगला-बगीचा क्षेत्रों में निवासरत लोगों से कई सालों से टैक्स वसूलती आई है। बावजूद अब तक यहां रहने वाले लोगों को स्वयं की भूमि पर मालिकाना हम नहीं मिल पाया है। शिवराज सरकार ने समस्या का समाधान तो किया, परंतु व्यवस्थापन के जटिल नियमों के चलते यह समस्या जस की तस बनी हुई है। सरकार व्यवस्थापन की आड़ में जनता पर कई तरह के टैक्स थोप रही है। भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों की वजह से यह समस्या सुलझने की बजाय और उलझ रही है। - सत्यनारायण पाराशर, बंगलावासी
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‘प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने बंगला-बगीचा समस्या के समाधान में राजस्व को महत्व दिया है। इस पारित मसौदे में जनता के हित की बात नहीं है। बंगला-बगीचा समस्या के समाधान के लिए बनाए गए मसौदे को केबिनेट ने मंजूरी दी थी। इस मसौदे में सरकार ने लोगों को स्वयं के मकानों में किरायेदार बनाने की तैयारी की है। जनता पर लीज रेंट सहित अन्य प्रकार के कर लगाए हैं। इतनी गंभीर समस्या का यह उचित समाधान नहीं है। प्रदेश की भाजपा सरकार को इस मसौदे पर पुनः विचार कर नियमों में बदलाव करना चाहिए। - मुन्ना भाई, बंगलावासी